लखनऊ। नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए आईपीसी ब्रिज कोर्स का प्रशिक्षण एएनएम कार्यकर्ताओं को दिया गया है। कार्यकर्ताओं को आईपीसी (इंटर पर्सनल कम्युनिकेशन) ब्रिज (बूस्टिंग रूटीन इम्यूनाईसेशन डिमांड जेनेरेशन) कोर्स के तहत सशक्त बनाया जा रहा है। यह प्रशिक्षण मोहनलालगंज, गोसाईगंज व काकोरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर एएनएम को दिया गया।
जिले के आठ ब्लॉकों में प्रशिक्षण
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि आईपीसी ब्रिज कोर्स का प्रशिक्षण एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए है। यह कार्यकर्ता स्वाथ्य सेवाओं व समुदाय के बीच एक ब्रिज यानि पुल के समान हैं, जिनके माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं समुदाय तक पहुंचती हैं। इस क्रम में जिले के सभी आठ ब्लॉक माल, मलिहाबाद, काकोरी, गोसाईगंज, बक्शी का तालाब और मोहनलालगंज के ब्लॉक कार्यालय में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यकम का आयोजन किया जाएगा। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्देश्य एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का क्षमतावर्धन कर शत-प्रतिशत टीकाकरण के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को देना है प्रशिक्षण
आईपीसी ब्रिज कोर्स के नोडल व जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी ने बताया कि सबसे पहले एएनएम को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके बाद आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। जहां एएनएम टीकाकरण करती है वहीं वह इसकी जानकारी भी देती हैं। एएनएम को चाहिए कि वह अधिक से अधिक लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करें। आशा वह बिन्दु है जहां से समुदाय को टीकाकरण के संबंध में जानकारी मिलती है और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महिला व बच्चों को केंद्र तक लाने का काम करती हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ट्रिपल ए (आशा, आंगनबाड़ी, एएनएम) को टीकाकरण के समय कुशल व्यवहार के लिए प्रेरित करना है।
एएनएम के लिए यह जरूरी है
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एमके सिंह ने कहा कि एएनएम के लिए यह जरूरी है कि वह लोगों के बीच विश्वास पैदा करें। प्रशिक्षक व स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी शशिभूषण ने कहा कि टीकाकरण के समय एएनएम को अभिभावकों को यह बताना चाहिए कि उनके बच्चे को कौन सा टीका लगा है और इसका क्या प्रभाव हो सकता हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है। टीकाकरण कार्ड पर अपना संपर्क नंबर भी शेयर करना चाहिए ताकि इसी समस्या के आने पर उनका समाधान हो सके। अभिभावक टीकाकरण कार्ड को संभाल कर रखें। जब भी केंद्र पर टीकाकरण के लिए आयें यह कार्ड लेकर अवश्य आयें।
बच्चे को लगने वाले टीके
बीसीजी, हेपेटाइटिस बी-जन्म के समय, ओपीवी, ओपीवी-1,2,3, पेंटावेलेंट-1,2,3, रोटा वायरस, आईपीवी, मीजल्स-रूबेला, पीसीवी जेई, विटामिन ए की पहली खुराक।
कब-कब टीके लगाए जाते हैं?
बीसीजी का टीका जन्म के समय या जितनी जल्दी संभव हो एक वर्ष तक। हेपेटाइटिस बी की खुराक जन्म के समय व इसके डेढ़, ढाई व साढ़े तीन महीने पर पेंटावालेंट -1, 2, 3 के टीके लगते हैं और 9 माह के पूरा होने -12 माह तक मीजल्स-रूबेला के टीके लगाए जाते हैं। यह टीके बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं।