बांदा। राजकीय मेडिकल कॉलेज में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सुरक्षा और शैक्षणिक संबंधी पर्याप्त सुविधाएं मुहैया न कराए जाने से उसकी इस वर्ष की मान्यता (एमसीआई) मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा छीन ली गयी है, इसलिए आगे भी मेडिकल कॉलेज के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है। हालत यह है कि 104 एकड़ क्षेत्रफल में फैले कॉलेज परिसर की 50 से ज्यादा बहुमंजिला इमारतों की सुरक्षा के लिए एक अदद सुरक्षा गार्ड तक नहीं है। मेडिकल छात्र-छात्राओं ने बताया कि वह डर और दहशत के साये में पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
सीनियर डॉक्टर्स की भारी कमी : प्रोफेसर डॉ. मुकेश
कॉलेज प्रिंसिपल प्रोफेसर डॉ. मुकेश यादव ने गुरुवार को बताया कि हमारे 21 विभागों में से ज्यादातर विभागों में पढ़ाने के लिए सीनियर डॉक्टर्स की भारी कमी है। इसके अलावा हमको अभी तक सुरक्षा गार्ड तक नहीं मिले हैं, यह मामला सरकार के स्तर पर विचाराधीन है। हमें कम से कम 50-60 सुरक्षा गार्ड हर हाल में चाहिए। पढ़ाने के लिए सीनियर डॉक्टरों की कमी और सुरक्षा इंतजाम न होने की वजह से हमारी इस साल की मान्यता भी चली गयी है, जिसके लिए लगातार सरकार से पत्राचार कर रहे हैं।
हॉस्टल परिसर में सुरक्षा गार्ड नही
एमसीआई की मान्यता छिन जाने से हमारा मौजूदा शिक्षा सत्र 2019-20 पूरा शून्य जाएगा लेकिन हम प्रयास कर रहे हैं कि अगले सत्र में ऐसा न हो। 2016 बैच के एमबीबीएस छात्र तन्मय गौतम ने बताया कि यहां बिना रोक-टोक के कोई भी कहीं भी आ जा सकता है। एक अन्य मेडिकल छात्रा ने बताया कि हमारे हॉस्टल परिसर में सुरक्षा गार्ड नहीं है जिससे हमें वहां रहने में डर लगता है।
स्टाफ नर्स ने कहा
स्टाफ नर्स आरती ने बताया कि कई बार रात में ड्यूटी होने पर दूसरी- तीसरी मंजिल जाने में हमें डर लगता है। ज्यादातर केस में मरीज के साथ आने वाले तीमारदार पुरुष होते हैं। मौके पर कोई सुरक्षाकर्मी न होने की वजह से हमें गंभीर केसों में इलाज शुरू करने में डर लगता है।