लखनऊ। नींद को लेकर अब आप कंफ्यूज न रहें। नींद सभी को निर्धारित समय तक लेना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि कम नींद लेना आपके शरीर के लिए नुकसानदायक है और आपको कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। पूरी नींद नहीं लेने से सबसे ज्यादा खुदकुशी और हादसे होते हैं। साथ ही व्यक्ति को चिड़चिड़ापन, गुस्सा, माइग्रेन, ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, डायबिटीज समेत कई बीमारियां होने की दिक्कत होती रहती है। उक्त बातें रेस्पेरटरी विभाग के प्रमुख डॉ. सूर्यकांत ने कही।
‘मिस्ट्री ऑफ स्लीपÓ पर व्याख्यान
केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग का 108वां स्थापना दिवस समारोह शनिवार को मनाया गया। इस दौरान ‘मिस्ट्री ऑफ स्लीपÓ पर व्याख्यान हुआ। यहां मौजूद केजीएमयू फिजियोलॉजी विभाग के डॉ. नरसिंह वर्मा ने कहा कि एक साल तक के शिशु को कम से कम 18 घंटे की नींद लेनी चाहिए। इसके अलावा 10 साल तक के बच्चों को पूरे दिन में 12 घंटे नींद (सोना) लेना चाहिए। वयस्कों को कम से कम छह घंटे सोना चाहिए। यदि बच्चे पूरे दिन में नहीं सोते हैं तो उन्हें काफी दिक्तत हो सकती है।
शारीरिक और मानसिक विकास होता है
डॉ. नरसिंह ने बताया कि पूरी नींद लेने से दिमाग के न्यूरांस अपडेट रहते हैं। सोते के समय पीनियल ग्लैंड से मिलेटॉनिन हार्मोन का स्राव होता है। उन्होंने बताया कि बच्चों के साथ 18 साल से ऊपर के लोगों को कम से कम छह घंटे जरूर सोना चाहिए। सभी को पर्याप्त नींद लेने से बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास सही से होता है। इसके अलावा बड़ों में क्षतिग्रस्त कोशिकाएं और ऊतक का पुनर्निर्माण भी उचित तरीके से होता है।
सोने से दिमाग दुरुस्त और चौकन्ना
डॉ. नरसिंह ने बताया कि नींद के वक्त पीनियल ग्लैंड से मिलेटॉनिन हार्मोन का स्राव होता है। उन्होंने बताया कि इतनी देर तक सोना जरूरी होता है। क्योंकि इतनी समय तक सोने से दिमाग दुरुस्त और चौकन्ना रहता है। दिल्ली एम्स के डॉक्टर डॉ. एच. मलिक ने स्लीप मिस्ट्री पर जानकारी दी।