लखनऊ। एक मोबाइल एप बच्चों को नई जिंदगी दे रहा है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) से बच्चों की पहचान कर उन्हें बेहतर इलाज मुहैया करा रही है। ग्रामीण इलाकों में रह रहे पिछड़े वर्ग के बच्चों व उनके परिवार वालों के लिए लाभप्रद है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत चलाया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत मोबाइल टीमें गंभीर बीमारी से ग्रस्त बच्चों की पहचान कर उनका इलाज कराती हैं। कार्यक्रम को प्रभावी तरीके से चलाने व गुणवत्ता में सुधार के लिए सूबे में आरबीएसके मोबाइल एप विकसित किया गया।
बेहतर इलाज करवाती है उपलब्ध
आरबीएएसके मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर सोल्यूशन के प्रोग्राम ऑफिसर अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि यह एप इसी वर्ष 1 मई को सूबे में लांच किया गया तथा इस संबंध में राज्य, मण्डल व जिला स्तर पर संबंधित कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इस एप के आने से अब आरबीएसके का हर काम पेपरलेस हो गया है। यह एप मुख्य रूप से स्क्रीनिंग व रेफेरल ट्रेकिंग के लिए लागू किया गया है। उन्होंने बताया कि जिले के हर ब्लॉक में 2 मोबाइल टीमें होती है जिसमें 2 डॉक्टर व 2 पैरा मेडिकल स्टाफ होते हैं। यह टीमें स्कूलों व आंगनबाड़ी केन्द्रों पर 0-19 वर्ष तक के बच्चों का चिकित्सीय परीक्षण कर उन्हें पूरा इलाज जिले से लेकर प्रदेश के चिन्हित मेडिकल कॉलेजों के माध्यम से उपलब्ध कराती हैं।
38 प्रकार की जन्मजात बीमारियों का इलाज
अनुपम ने बताया कि इस आरबीएसके के द्वारा 38 प्रकार की जन्मजात बीमारियों का इलाज किया जाता है। इनको फोर-डी भी कहते हैं -डिफ़ेक्ट एट बर्थ, डिजीज, डेव्लपमेंट डिलेज इंक्लुडिंग डिसेबिलिटी यानि किसी भी प्रकार का विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता। इन कमियों से प्रभावित बच्चों की इस कार्यक्रम के तहत नि:शुल्क सर्जरी सहित प्रभावी उपचार प्रदान करता है।
25,381 बच्चों का इलाज
सूबे में जब से यह एप लांच हुआ है तब से 2 महीने में अब तक कुल 13.42 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग कर 55,049 बच्चों को संदर्भित किया जा चुका है और कुल 25,381 बच्चों का इलाज किया जा चुका है। कुल 55,049 संदर्भित किए गए बच्चों में 14,113 बच्चे त्वचा संबंधी बीमारियों, 8,949 बच्चे अतिकुपोषित, 5,083 बच्चे बिटोट स्पॉट (विटामिन ए डेफिशियेंसी), 2,622 बच्चे गंभीर रूप से खून की कमी, 659 बच्चे क्लब फुट, 684 कंजनाइटल हार्ट डिसीस, 179 डाउन सिंड्रोम, 412 बच्चे कटे होंठ व तालू, 166 न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट ( सिर में पानी भरना), 698 बच्चे रिकेट्स ( विटामिन डी डेफिशियेंसी), 110 बच्चे आटिज्म से व 21,374 बच्चे अन्य बीमारियों से ग्रस्त हैं।