लखनऊ। रोग प्रतिरोधक प्रणाली की गड़बड़ी से होने वाले सोरायसिस रोग की समय से पहचान और बीमारी के प्रभावी प्रबंधन से न सिर्फ अपनी स्थिति को बेहतर रखा जा सकता है। बल्कि किसी के खानदान में पहले कोई सोरायसिस से पीडि़त रहा हो तो उसको चेकअप करा लेना चाहिए। अन्यथा इस बीमारी के होने के बाद इससे जुड़ी कई दूसरी बीमारियां और परेशान कर सकती हैं।
किसी भी उम्र में हो सकता है सोरायसिस रोग
तलवार स्क्रीन सेंटर के डर्मटोलॉजिस्ट, ट्रीचलॉजिस्ट और एस्थेटिक डर्मटोलॉजिस्ट डॉ. अंकुर तलवार ने कहा सोरायसिस किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन ये ज्यादातर 30-40 वर्गीय उम्र के लोगों में पाया जाता है। हमारे पास जितने भी डर्मा पीडि़त मरीज आते है उसमें से 10 प्रतिशत मरीजों मे सोरायसिस पाया जाता है। हमारे क्लिनिकल ऑब्जर्वेशन के मुताबिक कई मरीज जांच के लिए एक से दो साल के बाद हमारे पास आते हैं, जबकि सोरायसिस के लक्षण से वे पहले से जूझ रहे होते हैं।
अन्य मेटाबोलिक परेशानियां
उन्होंने कहा कि सोरायसिस मरीजों को अन्य बीमारियां भी हो जाती है, जैसे कि 10 से 15 प्रतिशत लोगों को सोरायटिक आर्थराईटिस भी हो जाता है। 20 से 25 प्रतिशत लोगों को अन्य मेटाबोलिक परेशानियां हो जाती है, जिसमे दिल की बीमारियां भी हो सकती है। आज के दौर में व्यापक रूप से कई प्रकार के उपाचर उपलब्ध है। सोरायसिस के प्राथमिक वह गंभीर अवस्था के लिए फोटोथेरेपी, ओरल थेरपी और बायलॉजिक्स सबसे बेहतरीन उपचार है। भारत में सोरायसिस 1 से 4 प्रतिशत लोगों को होता है। भारत में इस रोग की प्रारंभिक दर कम कही जा सकती है।
त्वचा रोग विशेषज्ञ से करें संपर्क
दुनिया की तीन फीसदी आबादी सोराइसिस रोग से ग्रस्त है। करीब 12 करोड़ 50 लाख (125 मिलियन) लोग सोराइसिस से ग्रस्त हैं। डा. तलवार के मुताबिक अगर इनका समय से और प्रभावी ढंग से इलाज न किया गया तो सोराइसिस से कई दूसरी सहायक बीमारियों का जन्म हो सकता है। जिनमें सोराइटिक आर्थराइटिस, कार्डियोवस्कुलर बीमारी, डिप्रेशन सोइरोसिस, डायबिटीज और मोटापा शामिल है। सोराइसिस के मरीजों के लिए, खासतौर से गंभीर मामलों में, मरीजों को अपनी सेहत की निगरानी रखनी चाहिए।
सोराइसिस का कोई इलाज नहीं है। हालांकि समय से रोग की पहचान और बीमारी के प्रभावी प्रबंधन से स्थिति को बेहतर रखा जा सकता है। त्वचा रोग विशेषज्ञ के पास जाकर इस रोग को पहचानने में मदद मिल सकती है।