लखनऊ। केजीएमयू ने एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। यहां संस्थान में पहली बार कैडेवर लिवर का प्रत्यारोपण किया गया और यह सर्जरी 13 घंटे तक चली। बुधवार को डॉक्टरों का यह काम केजीएमयू के लिए एक नया अध्याय था। केजीएूयू के डॉक्टरों ने कैडेवरिक ब्रेन डेड मरीज के लिवर को ट्रांसप्लांट कर महिला मरीज को नई जिंदगी दी है। डॉक्टरों ने दावा किया है कि केजीएमयू प्रदेश का पहला संस्थान है, जहां कैडवर लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है।
ऐसे हुआ
हरिप्रसाद की पत्नी वन्दना की 9 जून को सड़क हादसे का शिकार हो गई थी। हादसे में सिर में चोट लग गई और घायल हो गयी। घायल अवस्था में 12 जून को केजीएमयू में भर्ती कराया गया। लगातार इलाज के बाद कल 25 जून को डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया। ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर पीयूष श्रीवास्तव, शिक्षित वर्मा, अश्वनी सिंह ने वंदना के परिवारीजनों से बातचीत कर उन्हें अंगदान के प्रति जागरुक किया। परिवारीजन डॉक्टरों की बात माने और अंगदान का फैसला किया। उनके लिवर, कॉर्निया को डॉक्टरों ने सुरक्षित निकाल लिया। लिवर से एक मरीज की जान बच सकी। कैडेवर से प्राप्त लिवर को मेरठ निवासी 32 वर्षीय मरीज में प्रत्यारोपित किया गया। यह मरीज पिछले 9 महीने से गंभीर बीमारी लिवर सिरोसिस से पीडि़त था। इसके अतिरिक्त कैडेवर की दोनों आंखों की कार्निया केजीएमयू के आई बैंक में प्रत्यारोपण के लिए सुरक्षित रख ली गई हैं।
ये है टीम
पहला कैडवर प्रत्यारोपण करने वालों में सर्जिकल गेस्ट्रो के प्रमुख डॉ. अभिजीत चंद्रा, डॉ. विवेक गुप्ता, डॉ. प्रदीप जोशी, कम्युनिटी मेडिसिन के डॉ. ओपी सिंह, एनेस्थीसिया की डॉ. अनीता मलिक, डॉ. मो. परवेज, डॉ. एहसान, डॉ. अविनाश अग्रवाल, डॉ. आर्मिन अहमद, रेडियोलॉजी के डॉ. रोहित, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन प्रमुख डॉ. तूलिका चंद्रा, माइक्रोबायोलॉजी की डॉ. अमिता जैन, डॉ. प्रशांत, डॉ. शीतल वर्मा, पैथोलॉजी के डॉ. अतिन, डॉ. वाहिद, कार्डियोलॉजी के डॉ. वीएस नारायण, डॉ. गौरव चौधरी, पल्मोनरी डॉ. सूर्यकांत, डॉ. दर्शन बजाज, सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार, एमएस डॉ. बीके ओझा, मैक्स के डॉ. शालीन अग्रवाल, डॉ. वैभव शामिल रहे।