नई दिल्ली। आपको हॉर्लिक्स तो याद है ना। वही हॉर्लिक्स जिसे सबने बचपन में पीया होगा। 146 साल पुराने इस ब्रांड हॉर्लिक्स का सौदा हो चुका है। हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) ने जीएसके कंज्यूमर हैल्थकेयर से हॉर्लिक्स सहित उसके पूरे भारतीय बिजनेस को खरीदने का ऐलान कर दिया।
विलय योजना को मंजूरी
चार महीनों की लंबी नीलामी प्रक्रिया और कई दौर के वार्ताओं के बाद ग्लोबल जीएसके कंपनियों के खिलाफ दौड़ में हिंदुस्तान यूनिलीवर ने अंतत: हॉर्लिक्स को खरीदा है। एचयूएल बोर्ड ने जीएसके कंज्यूमर इंडिया के साथ विलय योजना को मंजूरी दे दी है। इसके तहत दोनों कंपनियां विलय हो जाएंगी। आपको बता दें कि ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन के भारत में लोकप्रिय ब्रांडों में हॉर्लिक्स शामिल है। भारतीय कंज्यूमर गुड्स मार्केट की यह सबसे बड़ी डील है।
ऐसा हुआ था
गौरतलब है कि हॉर्लिक्स प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) की समाप्ति के बाद ब्रिटिश आर्मी के साथ भारत आया था। ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिक इसे डायट सप्लीमेंट के तौर पर लिया करते थे। उसके बाद इस ब्रैंड की मार्केटिंग समृद्ध भारतीय परिवारों के पेय पदार्थ के रूप में किया गया और फिर इसे बच्चों के लिए जरूरी पोषण के तौर पर पेश किया जाने लगा।
ऐसे हुई हार्लिक्स की शुरुआत
वैसे तो हॉर्लिक्स यूके का प्रॉडक्ट है लेकिन इसकी सबसे ज्यादा बिक्री भारत में होती है। भारत में इसकी एंट्री दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुई। इसे दो ब्रिटिश भाइयों विलियम हॉर्लिक और उनके भाई जेम्स ने अमेरिका में ईजाद किया था। जेम्स एक केमिस्ट थे, जो ड्राई बेबी फूड बनाने वाली कंपनी के लिए काम करते थे। उनके छोटे भाई विलियम 1869 में अमेरिका आए थे। दोनों ने 1873 में मॉल्टेड मिल्क ड्रिंक बनाने वाली कंपनी जे एण्ड डब्ल्यू हॉर्लिक्स शुरू की।
उन्होंने अपने प्रॉडक्ट को डायस्टॉइड नाम दिया। उनका स्लोगन था- हॉर्लिक का इन्फैंट और इनवैलिडट्स फूड। 5 जून 1883 को दोनों भाइयों ने अपने प्रॉडक्ट के लिक्विड में मिक्स हो जाने की योग्यता के लिए यूएस पेटेंट नंबर 278,967 हासिल कर लिया और पेटेंट पाने वाला पहला मॉल्टेड मिल्क प्रॉडक्ट बन गया।