लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को लोकभवन में मुख्य सचिव से मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव को बताया कि नए मेडिकल कॉलेज बनाते समय पूर्व से सृजित पदों को समाप्त किये जाने के निर्देश चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए हैं जो कर्मचारी हितों के विरुद्ध हैं और नुकसानदायक है।
सकारात्मक कार्यवाही के निर्देश
प्रतिधिमंडल की मांगे सुनने के बाद मुख्य सचिव ने चिकित्सा स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, कार्मिक व वित्त विभाग को निर्देश दिया कि कर्मचारियों का भावनाओं को समझते हुए जिला पुरुष महिला चिकित्सालयों को मेडिकल कॉलेज बनाये जाने पर पूर्व जो भी तकनीकी/ पैरामेडिकल के पद स्वीकृत किए गए थे उन्हें समाप्त ना करके कर्मचारियों को वहीं पर समायोजित करने, चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए बजट व्यय के मानक मदों की ग्रुपिंग सही करने सहित जो भी मांगे हैं उन पर सकारात्मक कार्यवाही की जाए।
सेवाएं प्रभावित होंगी
परिषद के प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज बनने पर फार्मेसिस्ट संवर्ग के 33, लैब तकनीशियन के 8 सहित कुल 61 पद समाप्त किये जाने के शासनादेश जारी किए गए हैं। इससे सरकार द्वारा चिकित्सा संसाधन में उच्चीकरण के स्थान पर निम्नीकरण हो जाएगा। नि:शुल्क औषधि वितरण तथा अन्य सेवाएं प्रभावित होंगी।
वहीं चिकित्सा प्रतिपूर्ति हेतु मानक मदों के ग्रुपिंग में फेरबदल से चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाखो रूपया लटकने का मामला भी मुख्य सचिव के समक्ष रखा गया।
भुगतान पूर्ण नहीं हो सका
व्यय के मानक मदों की गु्रपिंग पूर्ववत करते हुए 1, 3, 6, 49 मद को एक साथ ग्रुप करने की मांग की गई, बताया गया कि कर्मचारियों की चिकित्सा में व्यय होने वाले मद की ग्रुपिंग में गलत रूप से फेरबदल के कारण वित्तीय वर्ष 2018-19 में कर्मचारियों के चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाखों रुपये का भुगतान नहीं हो सका। अधिकांश कर्मचारी मार्च में भुगतान की आस लगाये थे, परन्तु बजट कम आवंटित होने, कैशलेश के नाम पर बजट की कटौती होने तथा मानक मद 1-वेतन, 3-महंगाई भत्ता, 6-अन्य भत्ते के ग्रुप से चिकित्सा प्रतिपूर्ति सम्बन्धी मद 49-चिकित्सा व्यय को अलग कर दिये जाने के कारण भुगतान पूर्ण नहीं हो सका।
बिलों का भुगतान रुक गया
विदित हो कि पूर्व प्रचलित व्यवस्था के तहत उक्त चारों मद एक ही ग्रुप में थे, जिससे कि एक ही ग्रुप के किसी भी मद में धनराशि कम होने पर दूसरे मद की धनराशि उपयोग कर ली जाती थी, परन्तु प्रमुख सचिव, वित द्वारा निर्गत शासनादेश सं.-1/2018/बी-3-441/दस -2018- 100(4)/2002-ब.मै.-टी.सी.-2, दिनांक 04.10.2018 में ग्रुप-1 में से 49-चिकित्सा व्यय को अलग कर दिया गया, जिससे कि वित्तीय वर्ष के अन्त में कर्मचारियों का लाखों रुपये का चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों का भुगतान रुक गया।
प्रमुख सचिव वित्त को दिए निर्देश
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तर प्रदेश के महामंत्री अतुल मिश्रा ने शासनादेश 04.10.2018 में हुई ग्रुपिंग को पूर्व की भांति रखते हुए पुन: शासनादेश 21.06.2010 के अनुरूप किये जाने की मांग की। मुख्य सचिव ने इसे पूर्ववत रखे जाने के लिए प्रमुख सचिव वित्त को निर्देश दिए। वहीं पदोन्नति के लिए ए सी आर में ‘अतिउत्तमÓ की बाध्यता के सम्बंध में मुख्य सचिव के साथ 9 अक्टूबर 2018 को सम्पन्न हुई बैठक में बनी सहमति के अनुसार वित्त विभाग को स्पष्टीकरण जारी करना था जिससे कर्मचारियों की पदोन्नति व ए सी पी में आ रही समस्या का समाधान हो सके जो अभी तक नही हो पाया जिस पर मुख्य सचिव ने वित्त विभाग को निर्देश दिया कि अतिशीघ्र स्पष्टीकरण जारी कर दिया जाये।
लम्बित मांगों को भी बैठक में शामिल करें
मुख्य सचिव ने अपर मुख्य सचिव कार्मिक को निर्देश दिया कि राजकीय निगमों में जिन निगमों को सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं मिला है तथा अत्यधिक घाटे में चल रहे 8 निगमों को बंद करके उनके कर्मचारियों को विभाग में समायोजित करने तथा महंगाई भत्ते की किश्त का भुगतान आदि मामलों पर तत्काल बैठक आहूत कर स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ की लम्बित मांगों को भी बैठक में शामिल करे। उल्लेखनीय है कि स्थानीय निकाय के558 दैनिक भोगियो को विनियमितीकरण करने,संवर्ग पुनर्गठन एवं वेतन विसंगितयों पर विभाग द्वारा कोई निर्णय नहीं किया गया है।
वार्ता में आज कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वीपी मिश्रा, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुरेश कुमार रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा, शशि मिश्रा अध्यक्ष स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ, घनश्याम यादव महामंत्री राजकीय निगम कर्मचारी महासंघ, परिषद के संगठन प्रमुख केके सचान, प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव, आशीष पाण्डेय आदि उपस्थित थे।