लखनऊ। प्रदेश सरकार के लगभग सभी विभागों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के सभी पदों पर आउटसोर्सिंग कर्मचारी रखकर कार्य कराया जा रहा है। स्थायी नौकरियों की विज्ञप्ति जारी करने के बाद भी नियुक्तियां नहीं हो पा रही है। 5 वर्ष पूर्व केवल स्वास्थ्य विभाग में भारी संख्या में आउटसोर्सिंग कर्मचारी तैनात थे लेकिन पिछले 5 वर्षों में अन्य सरकारी विभागों में भी सभी पदों पर कार्य आउटसोर्सिंग कर्मचारियों द्वारा लिया जा रहा है।
संयुक्त स्वास्थ आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश प्रभारी सच्चिता नन्द मिश्रा के अनुसार प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा में लगभग तीन लाख और अन्य सभी विभागों को मिलाकर लगभग 10 लाख से ऊपर कर्मचारी आउटसोर्सिंग व्यवस्था के तहत सैकड़ों सेवा प्रदाता फर्म द्वारा रखे गए है।
हो रहा शोषण
डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान संविदा कर्मचारी संघ द्वारा 5 वर्ष से सरकार से लगातार मांग करने के बाद भी सरकार ने इस व्यवस्था में परिवर्तन नहीं किया। इससे पहले समाजवादी पार्टी की सरकार में लोहिया जैसे संस्थान के कर्मचारियों की समस्याओं का अनसुनी तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा की गई थी। डॉ. राम मनोहर लोहिया, एसजीपीजीआई व केजीएमयू में लगभग 10,000 कर्मचारी आउटसोर्सिंग पर कार्य कर रहे हैं। जिनका पूरा शोषण किया जा रहा है।
इतना देते हैं वेतन
आउटसोर्सिंग व्यवस्था के तहत विभिन्न एजेंसियां अपनी इच्छा अनुसार सारे नियमों को ताख पर रखकर कर्मचारियों को वेतन देती हैं। सेवा प्रदाता फर्म द्वारा चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को 6000 से 7000 रुपए वेतन दिया जाता है। वहीं कुशल श्रेणी के कर्मचारियों को 8000 से 9000 तथा नर्सिंग स्टाफ टेक्नीशियन कंप्यूटर ऑपरेटर का वेतन भी कई चिकित्सालयों में 10000 तक ही है।
रहता है बकाया
संविदा कर्मचारी संघ को विभिन्न जिलों से पता चला कि तमाम चिकित्सालय के सफाई कर्मचारियों को अभी भी 5000 रुपए प्रति माह वेतन दिया जा रहा है वह भी 3 से 6 माह तक बकाया रहता है। इसके साथ ही कर्मचारियों को एजेंसी द्वारा 3 महीने 6 महीने या 1 साल के लिए ही रखा जाता है और कर्मचारी 1 वर्ष तक भी नौकरी नहीं कर पाता।
आवाज उठाई तो नौकरी जाए
तमाम सेवा प्रदाता फर्म द्वारा लाखों रुपए का ई पी एफ ई एस आई घोटाले उजागर होने के बाद भी एजेंसीयां काम कर रही हैं जिस पर शासन की ओर से कोई दंडात्मक कार्यवाही नहीं की जाती। किसी भी कर्मचारी द्वारा अपने हक की आवाज उठाने पर, वेतन बढ़ाने की मांग पर उसको नौकरी से निकाल दिया जाता है।
स्थायी निति प्रदेश में लागू नहीं
आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ द्वारा पिछले 5 वर्षों में कई बार विरोध प्रदर्शन, आंदोलन, धरना प्रदर्शन किया गया मगर पिछले समाजवादी सरकार एवं वर्तमान की भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा इस व्यवस्था में कोई भी सुधार नहीं किया गया। कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों को आउटसोर्सिंग की स्थाई नीति बनाए जाने का आश्वासन देकर आंदोलन को रुकवा दिया गया मगर इस प्रकार की कोई भी स्थायी निति प्रदेश में लागू नहीं हुई। अब जल्द ही कुछ वरिष्ठ आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी नेताओं द्वारा आचार संहिता के बाद प्रदेश व्यापी बृृहद आंदोलन करवाया जा सकता है। अन्यथा प्रदेश के लाखों युवा इसी प्रकार शोषण के शिकार होते रहेंगे और बेरोजगारी तेजी के साथ प्रदेश में पैर पसारती रहेगी।
कर रहे उपेक्षा
संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश एवं डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान संविदा कर्मचारी संघ के पदाधिकारी मिलकर पूरे प्रदेश में आंदोलन करवा कर प्रदेश के लाखों युवा कर्मचारियों के हक की लड़ाई को सरकार से लड़ेंगे क्योंकि सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका होने के बाद भी युवाओं की उपेक्षा सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा की जा रही है।