11 से 25 जुलाई तक मनाया जाएगा जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा, उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य
लखनऊ। कम समय में बार-बार गर्भधारण करना महिला के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है और मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर का प्रमुख कारण भी है। जनगणना २०११ के आंकड़ों के अनुसार देश की जनसंख्या १२१ करोड़ है एवं लगभग २० करोड़ की आबादी के साथ उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है जो सम्पूर्ण जनसंख्या का १६.५० प्रतिशत है। यहां प्रतिदिन १५००० बच्चे जन्म लेते हैं। विश्व में बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणामों से जनसमुदाय को अवगत कराने के उद्देश्य से ११ जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
जागरुकता लाने का प्रयास
राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-४) के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जन्म दर (एक महिला द्वारा उसके पूरे प्रजनन काल में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या) २.७ है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर कुल प्रजनन दर २.२ है। जनसंख्या स्थिरता के सम्बन्ध में जागरुकता बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा इस वर्ष ‘परिवार नियोजन से निभाएं जिम्मेदारी, मां और बच्चे के स्वास्थ्य की पूरी तैयारीÓ थीम निर्धारित की गयी है, जिसका मुख्य उद्देश्य जनसाधारण को सीमित परिवार के बारे में जागरूक बनाने के साथ-साथ परिवार कल्याण कार्यक्रम को गति प्रदान करना भी है।
पुरुष नसबंदी में पीछे
एनएफएचएस-४ के अनुसार, उत्तर प्रदेश में १५-४९ वर्ष तक की विवाहित महिलाओं में, ४५.५ प्रतिशत महिलाएं परिवार नियोजन की किसी भी विधि का प्रयोग करती हैं, ३१.७ प्रतिशत महिलाएं किसी भी आधुनिक विधि का प्रयोग करती हैं। महिलाएं नसबंदी का प्रतिशत १७.३ है। १.२ प्रतिशत महिलाएं आईयूडी/प्रसव के बाद आईयूडी (कोपर टी), १.९ प्रतिशत गर्भनिरोधक गोलियां व १०.८ प्रतिशत पुरुष कोंडोम का प्रयोग करते हैं। केवल दशमलव एक प्रतिशत पुरुष ही नसबंदी करवाते हैं।
३८० पुरुषों ने नसबंदी कराई
एनएफएचएस-४ के अनुसार, लखनऊ जिले में १५-४९ वर्ष तक की विवाहित महिलाओं में, ५१.६ प्रतिशत महिलाएं परिवार नियोजन की किसी भी विधि का प्रयोग करती हैं, ३९.१ फीसदी महिलाएं किसी भी आधुनिक विधि का प्रयोग करती हैं, महिला नसबंदी का प्रतिशत १७.३ है, १.६ प्रतिशत महिलाएं आईयूडी/प्रसव के बाद आईयूडी (कोपर टी) व २.८ प्रतिशत गर्भनिरोधक गोलियां व १६.९ प्रतिशत पुरुष कोंडोम का प्रयोग करते हैं। पुरुष नसबंदी का प्रतिशत नगण्य है। हेल्थ मैनेजमेंट इन्फोर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) के अनुसार जिले में २०१८-१९ में ३८० पुरुषों ने नसबंदी कराई है। सरकार को पुरुष नसबंदी से संबंधित भ्रांतियों को दूर करने की और जागरुकता फैलाने की जरूरत है।