लखनऊ। आज के दौर में बदलते लाइफस्टाइल के चलते लोगों में तनाव आम बात हो गई है। अब इसका इलाज संभव है, लोगों का परेशान होने की जरूरत नहीं है। समाज में तेजी से फैल रही इस बीमारी के प्रति जनजागरुकता पैदा करने के लिए ही हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
यह कहा सीएमओ ने
मुख्य चिकित्सा अधिकारी नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि इस बार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की थीम विश्व के बदलते परिदृश्य में युवा और मानसिक स्वास्थ्य रखी गयी है। 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर कार्यक्रम में प्रशिक्षण, प्रचार-प्रसार व मरीजों का इलाज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नशा केवल शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से तबाह करता है। इसलिए इसके बारे में बच्चों को जानकारी दी जाएगी। मानसिक बीमारी को नजरअंदाज किए बिना तुरंत ही मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
नि:शुल्क चिकित्सीय परामर्श
मंडलीय जिला चिकित्सालय के मनोचिकित्सक का कहना है कि मानसिक समस्याओं के बेहतर इलाज के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से लखनऊ में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसके तहत प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, विद्यालयों, समुदायों धार्मिक स्थलों और अनाथालयों में नि:शुल्क चिकित्सीय परामर्श और दवाएं भी वितरित की जाती हैं।
दुआ के साथ दवा भी
एसीएमओ डॉ. चौधरी का कहना है कि धार्मिक स्थलों पर अधिकतर लोग झाड़-फूंक और दुआ के लिए आते हैं, वह दुआ के साथ दवा भी लें ताकि उनकी बीमारी को जल्दी ठीक किया जा सके। उनका कहना है कि शुरुआत में ही अगर मानसिक बीमारी का पता चल जाए तो उसे जल्दी ठीक किया जा सकता है। इस तरह के शिविर आयोजित करने का प्रमुख उद्देश्य लोगों को काउंसलिंग के जरिये जागरूक करना और इलाज के लिए प्रेरित करना है, क्योंकि लोग अनजाने में झाड़-फूंक के चक्कर में बीमारी को गंभीर बना देते हैं। शिविर में जो लोग आयेंगे उनको दवा देने के साथ ही बराबर फालोअप भी किया जाता है।