लखनऊ। चिकित्सा पेशा नहीं, सामाजिक दायित्व भी है। जब कोई चिकित्सक बनता है तो समाज के लोग उसे अपना जीवन रक्षक मानते हैं। इसलिए समाज चिकित्सकों की बात मानता है। नशा उन्मूलन के क्षेत्र में चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग कार्य करें। यह बातें उत्तर प्रदेश होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. बीएन .सिंह ने कही।
वह बृहस्पतिवार को होम्योपैथी साइंस कांग्रेस सोसायटी और नशा मुक्ति आन्दोलन की ओर से आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि बचपन में जो बच्चे तंबाकू का सेवन शुरू कर देते हैं तो उनका शारीरिक विकास रूक जाता है। यदि किसी व्यक्ति ने पांच लोगों को धूम्रपान छुड़वा दिया तो समाज भी स्वस्थ रहेगा तभी देश व विश्व का विकास होगा। नशा छोडऩे के लिए फल व सब्जियों का सेवन अधिक करें।
पुर्तगालियों के जमाने में भारत में आयी तंबाकू : डॉ. अनुरूद्ध
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के सदस्य डॉ. अुनरूद्ध वर्मा ने कहा कि भारत में प्रतिवर्ष 10 लाख लोग तंबाकू के सेवन से मौत के शिकार हो रहे हैं। पुर्तगालियों के जमाने में भारत में तंबाकू आयी। आज भारत में सबसे ज्यादा युवा तंबाकू का सेवन कर रहे हैं। शौक में लड़कियां भी तंबाकू व सिगरेट का सेवन कर रही हैं। जिस देश का युवा नशे में फंस गया तो उस देश की उन्नति नहीं हो सकती। डॉ. वर्मा ने कहा कि तंबाकू की रोकथाम में लड़कियां सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है।
धूम्रपान से गर्भाशय पर दुष्प्रभाव
डॉ. रेनू महेन्द्रा ने कहा कि महिलाओं के धूम्रपान करने से गर्भाशय पर दुष्प्रभाव पड़ता है। डॉ. निशांत श्रीवास्तव ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि पान से कई गुना नुकसानदायक गुटखा है। युवा अपने मित्रों से गुटखा खाना सीखते हैं और धीरे-धीरे उनकी आदत पड़ जाती है। गुटखा के सेवन के कारण कैंसर तेजी के साथ फैल रहा है। कार्यक्रम को डॉ. ज्ञानेन्द्र राय और डॉ. आरके.बाजपेई ने भी संबोधित किया। गोष्ठी का संचालन सुषमा ने किया।