नई दिल्ली। पीरियड्स को लेकर आज भी समाज में कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं। महिलाएं आज देशभर में अपना परचम लहरा रही हैं। एक ओर समाज महिलाओं की बहादुरी का सम्मान करता है तो वही समाज कहीं न कहीं महिलाओं को किसी न किसी कारण से पीछे भी धकेलता है।
आज महिलाओं को नौकरी समेत अन्य क्षेत्रों में पूरी आजादी तो मिल गई है, लेकिन कुछ सामाजिक कुरीतियों के कारण वे कहीं ना कहीं आज भी बंदिश में हैं। कई जगहों पर पीरियड्स को बीमारी माना जाता है तो कहीं पर इसे छुआछूत की संज्ञा देकर कुरीति को बढ़ावा दिया जाता है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि पीरियड्स एक बीमारी है या सिर्फ टैबू…
पीरियड्स की समस्या होती क्या है?
पीरियड्स को मासिक धर्म भी कहते हैं। यह समस्या 12 साल की उम्र की लड़कियों से लेकर 40-45 साल तक की महिलाओं को हर महीने नियमित रूप से होती है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इस दौरान महिला को बहुत सी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। जब लड़की बालावस्था से किशोरावस्था में प्रवेश करती है तब शरीर में ऐसे हार्मोन बनते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखते हैं। हर महीने ये हार्मोन शरीर को गर्भधारण के लिए तैयार करते हैं।
ऐसे होते हैं लक्षण
महिलाओं को हर महीने इस परिस्थिति का सामना करना पड़ता है। कुछ महिलाओं को ज्यादा परेशानी होती है तो कुछ को कम। पीरियड्स आने के कुछ दिनों पहले महिलाओं में कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जैसे मूड स्विंग्स। ये लक्षण लगभग हर महिला में देखने को मिलता है। कुछ महिलाओं को पेट दर्द, पीठ दर्द, चेहरे पर पिंपल्स, कम या अधिक भूख लगना, थकान महसूस होना। ये सभी लक्षण कुछ दिनों पहले ही होना शुरू हो जाते हैं, लेकिन पीरियड्स खत्म होने के बाद ये अपने आप ठीक हो जाते हैं और महिला स्वस्थ महसूस करने लगती है।
महिलाएं ऐसे बरतें सावधानी
पीरियड्स के दौरान अगर महिला सावधानी न बरते तो ये एक गंभीर बीमारी का रूप भी ले सकती है। इस दौरान महिला को अपनी साफ सफाई या हाइजीन का पूरा ध्यान रखना चाहिए। इस पर बहुत से कैंपेन भी सरकार द्वारा चलाए जाते हैं। अलग-अलग संस्थाओं और सरकार की ओर से महिलाओं को जागरूक करने के लिए विज्ञापन और अभियान भी चलाए जाता हैं। फिल्म जगत भी महिलाओं से जुड़ी समस्याओं से संबंधित मुद्दों पर फिल्में बनाता है।
पेन किलर की जगह गर्म पानी से सिकाई
पीरियड्स के दौरान महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा वे कॉटन का साफ कपड़ा भी इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही अगर आप हेल्थ फ्रीक हैं तो पीरियड्स के शुरुआती दो दिन एक्सरसाइज से दूरी बना सकती हैं। कॉफी का सेवन कर सकती हैं। कुछ महिलाओं को पेट दर्द की शिकायत रहती है, तो उस दौरान पेन किलर की जगह गर्म पानी से सिकाई कर सकती हैं।
बच्चियों को जानकारी देकर समझाएं
10-11 साल की उम्र में लड़कियों को इसके बारे में जानकारी दें। उन्हें समझाएं कि आने वाली उम्र में वो इससे डरें या घबराएं नहीं। बल्कि वे समझदारी से इसका सामना कर करें। आजकल स्कूल में भी एजुकेशन प्रोगाम चलाए जाते हैं। स्कूल के अलावा घर पर भी बच्चियों को शिक्षित करें ताकि वे कैसे इस दौरान स्वच्छ रहें और इंफेक्शन से दूर रहें।
पीरियड्स बीमारी है या टैबू!
जहां एक तरफ महिलाएं आगे बढ़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर महिलाएं बंदिशों की जंजीरों में भी जकड़ी हुई हैं। कई जगहों पर पीरियड्स को बहुत बड़ी बीमारी तो कई जगहों पर टैबू माना जाता है। पुरानी कुरीतियों के अनुसार पीरियड्स के दौरान महिलाओं को रसोई में नहीं जाने दिया जाता। कुरीतियों के मुताबिक कहीं पर पूजा घर या मंदिर में महिलाओं का प्रवेश पाप माना जाता है। पीरियड्स कोई बीमारी नहीं है। ये सिर्फ लोगों की रूढि़वादी सोच है और कुछ लोग तो इसको लेकर कुरीति का दिया जलाए बैठे हैं।
महिलाओं को इन दिनों चाहिए होता है सपोर्ट
लोग इन दिनों महिलाओं का हर क्षेत्र में सपोर्ट कर रहे हैं। उसी तरह महिलाओं का सपोर्ट पीरियड्स के समय में भी करना चाहिए। जिस तरह समाज में अन्य कुरीतियों को खत्म किया गया है। उसी तरह इस अंधविश्वास की डोर को भी तोडऩे की जरूरत है।
यह बात सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाल ही में केरल के सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिला को प्रवेश देने के फैसले में साफ झलकती है। दरअसल केरल के सबरीमाला मंदिर में पीरियड्स से संबंधित कुरीति के चलते महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी। अब समाज को यह समझना चाहिए कि पीरियड्स कोई बीमारी या छुआछूत नहीं है, बल्कि अंधविश्वास है, जो समाज की सोच में बैठा हुआ हैं।