लखनऊ। घुटने की लिगामेंट इंजरी से अक्सर लोग परेशान रहते हैं। इसमें सबसे कॉमन होता है एसीएल लिगामेंट इंजरी। इसे एंटीरियर क्रूसियेट लिगामेंट भी कहते हैं। यह इंजरी करीब 60 फीसदी लोगों में होती है। इसका इलाज आर्थोस्कोप यानि कि दूरबीन विधि से किया जाता है।, जोकि पूर्णत: सफल है। यह बात डॉ. आरपी सिंह ने कही है।
ऐसा होता है
घुटने की लिगामेंट इंजरी में मरीज का घुटना फंसता है। घुटना घूमने से गिरने का डर बना रहता है। यह इंजरी ज्यादातर खिलाडिय़ों को होती है। इसके अलावा सड़क हादसे में भी यह इंजरी हो सकती है।
इस बात पर ध्यान दें
डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि इस इंजरी में शुरुआत में फिजियोथेरेपी का सहारा लिया जाता है। इसके साथ ही सावधानियां भी बरतनी होती है। इसमें ध्यान देने वाली बात होती है कि मरीज को दौडऩा या कूदना नहीं होता है। पलथी मारकर नहीं बैठना चाहिए।
अगले दिन अस्पताल से छुट्टी
कई बार ऐसा देखने में आता है कि ऑपरेशन होगा और काफी दिन अस्पताल में रहना होगा। ऐसा नहीं है अब आपको आर्थोस्कोप यानि कि दूरबीन विधि से ऑपरेशन के बाद अगने ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। कुछ समय के बाद खिलाड़ी खेल सकता है या जिस किसी को भी इंजरी हुई है वो अपना काम नियमित कर सकता है।