लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लगभग 55 जिलों में यूपीएचएसपी योजना के तहत प्रदेश में लगभग 10000 कर्मचारी स्टाफ नर्स, डॉक्टर टेक्नीशियन, रजिस्ट्रेशन क्लर्क ,चपरासी, वार्ड ब्वॉय, वार्ड आया विभिन्न चिकित्सालय में कार्यरत हैं। 3 साल बाद इस योजना को प्रदेश सरकार 30 मार्च को बंद करने जा रही है जिससे प्रदेश के 10000 युवा कर्मचारियों की बेरोजगारों के साथ ही प्रदेश की बीमार जनता को उचित इलाज में भी काफी परेशानी आएगी। सभी चिकित्सालयों में 20 से 50 कर्मचारी कार्यरत है जिनको निकाल दिए जाने के बाद अस्पताल प्रशासन सुविधाएं देने में असमर्थ हो जाएगा। प्रदेश सरकार के इस फैसले का दुष्प्रभाव प्रदेश की जनता एवं कर्मचारियों पर पडऩे वाला है।
स्वास्थ्य भवन पर प्रदर्शन
संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग, संविदा कर्मचारी संघ उप्र द्वारा पूरे प्रदेश में कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं। सभी जनपदों में जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सांसद, विधायक को ज्ञापन दिया जा रहा है। 5 मार्च को लखनऊ के तमाम कर्मचारी के साथ में प्रदेश पदाधिकारी स्वास्थ्य भवन पर प्रदर्शन कर ज्ञापन देंगे और इसके साथ ही 11 मार्च को प्रदेश के सभी कर्मचारियों को लखनऊ में बुलाकर मुख्यमंत्री आवास का घेराव और अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन इको गार्डन में किया जाएगा। वर्षो से कार्य कर रहे पुराने अनुभवी तथा योग्य कर्मचारियों के साथ इस तरह का सौतेला व्यवहार शासन द्वारा किया जाना चिंता का विषय है। यह जानकारी संयुक्त स्वास्थ आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश के मीडिया प्रभारी सच्चिता नन्द मिश्रा ने दी है।