लखनऊ। प्रदेश के 42 ट्रॉमा सेंटर बिना फार्मासिस्ट के ही संचालित किए जा रहे हैं। यही नहीं 200 से लेकर 500 बेड तक के अस्पतालों में फार्मासिस्ट की तैनाती का मानक ही तय नहीं किया गया है। राजभवन की 24 घंटे की डिस्पेंसरी में भी तीन की जगह सिर्फ एक फार्मासिस्ट की तैनाती की गई है। राजकीय फार्मासिस्ट महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि प्रदेश के सभी अस्पतालों का आंकलन किया जाए तो 100 बेड के शासनादेश को मानक मानते हुए तत्काल अतिरिक्त चार से पांच हजार फार्मासिस्टों की जरूरत है।
यह कहता है मानक
जानकार सूत्रों के मुताबिक शासनादेश कहता है कि उच्चीकृत सुविधाओं से लैस 100 बेड के अस्पताल में कम से कम आठ फार्मासिस्ट और दो चीफ फार्मासिस्ट की नियुक्ति होनी चाहिए। लेकिन देखा जाए तो यह नियम नए अस्पतालों में ही लागू किया गया है। वहीं पुराने अस्पतालों में दो फार्मासिस्ट ही ओपीडी के साथ-साथ आपातकालीन सेवाएं भी दे रहे हैं। अगर 50 शैय्या वाले इनडोर सेवाओं की बाते करें तो वहां एक फार्मासिस्ट होना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि ओपीडी में कम से कम 100 रोगियों पर एक फार्मासिस्ट का नियुक्त करने का नियम है। जबकि ऐसा हर अस्पताल में नहीं हो रहा है। इस समय इनडोर, ओपीडी और इमरजेंसी सेवाओं के लिए पर्याप्त फार्मासिस्ट ही नहीं है।
जवाहर भवन की डिस्पेंसरी के लिए अभी तक पद ही सृजित नहीं
ट्रॉमा सेंटरों की बात करें तो फार्मासिस्टों को संबद्ध कर काम चलाया जा रहा है, जबकि पदों के सृजन की फाइल एक साल से वित्त विभाग में अभी तक फंसी हुई है। स्वास्थ्य महानिदेशालय और जवाहर भवन की डिस्पेंसरी के लिए अभी तक पद ही सृजित नहीं हैं। इन डिस्पेंसरी में संबद्धता से ही दवाओं का वितरण किया जा रहा है। लोकबंधु राजनारायण अस्पताल में 100 बेड के साथ शुरू हुआ था तब यहां दो फार्मासिस्ट की नियुक्ति की गई थी, अब अस्पताल 300 बेड का हो चुका है, लेकिन नए पद अभी तक सृजित नहीं किए गए हैं।
यह कहा महानिदेशक ने
इस विषय पर चिकित्सा स्वास्थ्य के महानिदेशक डॉ. पद्माकर सिंह ने कहा है कि फार्मासिस्टों के पदों के सृजन के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। वित्त विभाग से जैसे ही अनुमति मिलेगी ट्रॉमा सेंटर के लिए पदों का सृजन किया जाएगा। रही बात अस्पतालों के लिए फार्मासिस्टों के पदों की तो उसकी समीक्षा की जाएगी।