लखनऊ। आपका चेहरा किसी को भी आकर्षित कर सकता है लेकिन क्या आपको इस बात की जानकारी है कि आपके चेहरा की रौनक बढ़ाने में आपके दांतों की बनावट भी अहम रोल निभाती है। यदि किसी व्यक्ति के दांत टेढ़े-मेढ़े या बाहर की तरफ निकले हैं तो ऐसे व्यक्ति का चेहरा देखने में अच्छा नहीं लगता और ऐसे व्यक्ति को मानसिक प्रताडऩा से गुजरना भी पड़ता है।
होती है परेशानी
ऐसे व्यक्ति को खाना खाने, पानी पीने या बोलने में भी परेशानी होती है। ऐसे में आपको सही समय पर चिकित्सक के पास जाना चाहिए ताकि समय रहते सही उपचार मिल सके। अगर इसमें देरी की गई तो मरीज के दांतों का ठीक होना मुश्किल हो जाता है। आप समय पर ऑर्थोडॉन्टिस्ट के पास जाकर जल्द से जल्द उपचार कराएं।
जल्द कराएं उपचार
यह बात केजीएमयू के ऑर्थोडॉन्टिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रदीप टंडन ने कही। यह समय था बुधवार को विश्व ऑर्थोडॉन्टिक स्वास्थ्य दिवस का। केजीएमयू में ऑर्थोडॉन्टिक विभाग दंत संकाय द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम से पहले जागरुकता रैली भी निकाली गई।
रैली को केजीएमयू के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसके अलावा विभाग द्वारा ‘ब्रांचेस फॉर हेल्थ और ब्रशस फॉर ब्यूटीÓ विषय पर निबंध प्रतियोगिता और इस्माइल प्रतियोगिता के साथ ही पेशेंट अवेयरनेस कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया।
मानसिक एवं शारीरिक विकास पर डालते हैं प्रभाव
ऐसा माना जाता है कि टेढ़े मेढ़े दांत ना सिर्फ सुंदरता पर असर डालते हैं बल्कि एक प्रकार की कठिनाई भी पैदा कर देते हैं। अव्यवस्थित दातों की सफाई भी ठीक से नहीं हो पाती और उनमें कीड़े लगने का डर रहता है और पायरिया हो जाता है। टेढ़े-मेढ़े या बाहर के निकले दांत बच्चे के मानसिक एवं शारीरिक विकास पर भी प्रभाव डालते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि पीडि़त के साथ मित्रों द्वारा उपेक्षा की जाती है और बच्चा हीन भावना से ग्रसित हो जाता है, जिसका सीधा असर दिमाग पर पड़ता है।
डॉक्टर ने कही ये बात
इसी क्रम में प्रोफेसर डॉ अमित नागर और डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह ने दंत स्वास्थ्य जागरुकता संबंधी जानकारी देते हुए कहा कि टेढ़े मेढ़े दांतो के कारण बहुत से मरीज भोजन ठीक से नहीं जब आप आते हैं जिनके कारण उनके जबड़े के जोड़ व आंतों पर अधिक प्रभाव पड़ता है और यह प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर भी असर डालता है ऐसा कई बार होता है की वजह से बोलने पर उच्चारण में भी अंतर आ जाता है।
सही समय इलाज का 7 से 8 वर्ष
केजीएमयू के ऑर्थोडॉन्टिक्स दंत चिकित्सा विभाग में टेढ़े मेढ़े दांतो का पूर्वानुमान और रोकथाम के साथ ही इलाज किया जाता है। यही नहीं यहां जबड़ों की हड्डियों के बीच सामंजस्य बैठाया जाता है। उन्होंने बताया कि सही समय इलाज का 7 से 8 वर्ष होता है इस उम्र में बच्चे को विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। डॉक्टर ने कहा कि इस अवस्था के बाद ऑर्थोडॉन्टिक्स इलाज संभव नहीं है। आजकल ऑर्थोडॉन्टिक इलाज किसी भी उम्र में संभव है लेकिन अधिक उम्र में कठिनाइयां आ जाती हैं। गौरतलब है कि ऑर्थोडॉन्टिक इलाज दो तरीकों से किया जाता है
पहला अस्थाई अप्लायंस
इसमें मरीज अपनी सुविधानुसार ब्रश करने के समय नाश्ता के समय या खाना खाने के समय निकालना लगा सकता है। आस्थाई अप्लायंस से समस्याओं का इलाज संभव है सहयोग करता है तो वहीं स्थाई अप्लायंस में दांतों के बाहर लगाए जाते हैं जिसे मरीज अपनी मर्जी से निकाल नहीं सकता। यह अप्लायंस मेटल या दांत के रंग के मेटेरियल से बनाए जाते हैं। डॉक्टर ने बताया कि ज्यादातर समस्याओं का इलाज संभव है।
लम्बे समय तक चलता है इलाज
इस अप्लायंस से इस मर्ज की ज्यादातर समस्याओं का इलाज संभव है। यह इलाज मर्ज की समीक्षा के अनुसार डेढ़ वर्ष से लेकर 3 या 4 वर्ष तक चल सकता है। कटे हुए होंठ व तालु वाले मरीजों में का इलाज ज्यादा लंबे समय तक चलता है।