लखनऊ। बलरामपुर अस्पताल की अनदेखी और ढुल मुल रवैये से दवाएं तो दूर व्हीलचेयर-स्ट्रेचर तक मरीजों को नहीं मिल पा रही। ऐसे में तीमारदार मरीज को गोद में उठाकर ले जाने को मजबूर हैं। वहीं तीमारदार मरीज को गोद में उठाकर ले जाने को मजबूर हैं। आज दोपहर हादसे में घायल महिला मरीज का सीटी स्कैन जांच होना था। न्यू बिल्डिंग से कोई स्ट्रेचर-व्हीलचेयर न मिलने पर तीमारदार मरीज को गोद में उठाकर जांच कराने पहुंचा। जहां से वापस मरीज को गोद में उठाकर वापस गया।
लगाया आरोप
अफसरों का कहना है कि स्ट्रेचर-व्हीलचेयर मरीज खुद नहीं लेते हैं। इनकी कोई भी कमी नहीं है। इटौंजा की रहने वाली सुखई 34 महिला मरीज करीब आठ दिन से अस्पताल की न्यू बिल्डिंग वार्ड में भर्ती हैं। उसके सिर पर चोट लगी है। आज दोपहर करीब दो बजे वार्ड से महिला मरीज को जांच के लिए भेजा गया। तीमारदार रामस्वरूप का आरोप है कि कई जगह पर व्हीलचेयर-स्ट्रेचर की तलाश की गई मगर वह नहीं मिली। देरी होता देख मरीज को गोद में उठाकर जांच केंद्र पर जाना पड़ा। जहां भी स्ट्रेचर-व्हीलचेयर न मिलने पर वापस गोद में ही लाना पड़ा। तीमारदार का आरोप है कि वार्ड में स्ट्रेचर-व्हीलचेयर की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
नहीं हुई मरीजों की खून की जांच
वहीं बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी, आरडीसी में रोजाना मरीजों की खून की जांच होती है। करीब 400 मरीजों को निराशा हुई। अस्पताल में दिन भर मरीजों की खून की जांच नहीं हुई। मोहर्रम की छुट्टी के बाद अस्पताल में इलाज के लिए मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ी। खून के जांच के लिए घंटों भटकते के बाद मरीज बैरंग लौट गए। भूखे पेट आए कुछ मरीजों ने मजबूरी में निजी पैथालॉजी में जांच कराई। रीजेंट खत्म हो जाने की वजह से जांच प्रभावित रही। अस्पताल के निदेशक डॉ. राजीव लोचन ने कहा कि अस्पताल में खून की जांच हो रही है। रीजेंट की कमी नहीं है। न ही रीजेंट खत्म हुआ है। अस्पताल में आने वाले सभी मरीजों की जांच की जाती है।