दो दिवसीय कांफ्रेंस नेत्र देखभाल के क्षेत्र में तकनीक पर चर्चा
लखनऊ। आम जनता को आंखों की बेहतर देखभाल प्रदान करने के प्रयासों को जारी रखने के सिलसिले में इंट्राऑक्यूलर इंप्लांट एंड रिफ्रैक्टिव सोसाइटी (आईआईआरएसआई) ने दिल्ली में 2 दिवसीय वार्षिक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रें स का सफ लता पूर्वक समापन किया। लगभग 26 विभिन्न देशों से 1200 प्रतिनिधियों ने नेत्र देखभाल के क्षेत्र में नई तकनीकों इनोवेशन और प्रगति पर चर्चा करने के लिए इस सम्मेलन में भाग लिया। मेक इन इंडिया पर सरकार के जोर के साथ, इस कॉन्फ्र ेंस में हुए विचार-विमर्श के साथ बहुत से सरल और विदेशी चिकित्सा प्रोटोकॉल और विचारों की उत्पत्ति की उम्मीद की जाती है, जो नेत्र देखभाल के स्वर्ण मानक बन जाएंगे।
नेत्र रोग विशेषज्ञों और तकनीशियों को प्रशिक्षित करना जरूरी
आईआईआरएसआई के वैज्ञानिक समिति अध्यक्ष और सेंटर फ ॉर साइट के सीएमडीए डॉक्टर महिपाल एस सचदेव ने बताया कि असली चुनौती इस तकनीक को जमीनी स्तर पर उपलब्ध कराने में है और इस तकनीक को अपनाने के लिए अस्पतालों में नेत्र रोग विशेषज्ञों और तकनीशियों को प्रशिक्षित करना है। आईआईआरएसआई एक प्रमुख नेत्र समाज है जो नेत्र विज्ञान के क्षेत्र में अपने कौशल और ज्ञान का विस्तार करने के लिए इस देश के नेत्र विशेषज्ञों को एक मंच प्रदान करने का काम कर रहा है।
12 मिलियन लोग अंधेपन का शिकार
डब्ल्यूएचओ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार विश्व की लगभग 30 फीसदी नेत्रहीन आबादी भारत में है। इन आंकड़ों के अनुसार भारत में कुल 12 मिलियन लोग अंधेपन का शिकार हैं। हर साल 2 मिलियन नए मामलों के साथ यह समस्या न केवल लोगों के जीवन को खराब कर रही है बल्कि देश के विकास को भी प्रभावित कर रही है। केवल नेत्र विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने से ही इस समस्या में कमी लाई जा सकती है।
मरीज की रिकवरी में लगता है कम समय
उपस्थित सभी प्रतिनिधियों ने कई सत्रों के माध्यम से नई और अत्याधुनिक तकनीकों को आम जनता के बीच उपलब्ध कराने के तरीकों पर भी चर्चा की। नेत्र संबंधी विकारों के उपचार में अत्याधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से न केवल इलाज आसान हो जाता है बल्कि मरीज की रिकवरी में समय भी कम लगता है, जिससे उन्हें एक बेहतर जीवन जीने का मौका मिलता है।