लखनऊ। पोषण माह का आगाज हो चुका है। पोषण माह के दूसरे दिन जिले में माल, मलिहाबाद, काकोरी सहित सभी विकास खंडों के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सुपोषण दिवस का आयोजन किया गया। इस माह की थीम है ऊपरी आहार। इसके तहत मलिहाबाद ब्लॉक के पूर्व ग्राम सभा में सुपोषण दिवस मनाया गया।
पुरुषों को होनी चाहिए जानकारी
ग्राम सभा पूरवा की ग्राम प्रधान सरस्वती देवी ने अपने पति रमेश चन्द्र के साथ इस बैठक की अगुवाई की। इस अवसर पर गर्भवती महिलाएं, धात्री महिलाएं अपने पतियों के साथ तथा 6 माह की उम्र पूरे कर चुके बच्चों के माता-पिता मौजूद रहे। कार्यक्रम में उपस्थित प्रभारी बाल विकास परियोजना अधिकारी निरुपमा ने बताया कि बैठक में पुरुषों को बुलाने का उद्देश्य यह हैं कि उन्हें भी जानकारी होनी चाहिए कि अगर उनकी पत्नी गर्भवती या धात्री है तो उसन आयरन फोलिक एसिड व खाना खाया है या नहीं, पत्नी ने प्रसव पूर्व जांच कराई है या नहीं, टिटनस के टीके लगवाए हैं हां या नहीं।
इन चीजों का करें सेवन
इसके साथ ही पुरुष को यह भी प्रयास करना चाहिए कि वह जांच के समय अपनी पत्नी के साथ रहे। यह पुरुषों की जिम्मेदारी बनती है कि घर पर अनाज, दालों, हरी सब्जियों, मौसमी फलों, दूध व दूध से बने पदार्थों की उपलब्धता रहे। निरुपमा ने कहा कि यदि पत्नी स्वस्थ रहगी तो उसका गर्भ में पल रहा बच्चा भी स्वस्थ होगा।
6 माह के बाद होता है तेजी से विकास
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नविता ने बताया कि 6 माह तक मां का दूध बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार होता है लेकिन 6 माह के बाद मां को दूध बच्चे के लिए पर्याप्त नहीं होता है। इस आयु से बच्चे का शारीरिक व मानसिक विकास तेजी से होता है जिसके लिए उसे अधिक ऊर्जा, प्रोटीन, वसा सहित अन्य पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। यह बच्चे को तभी मिलेगा जब उसे उचित मात्रा में।
भोजन में गाढ़ापन जरूरी
खाद्य पदार्थों के समूहों में से 4 खाद्य समूह दिये जाये यानि कि बच्चे को प्रतिदिन खाने में दालें, अनाज, सब्जियां व फलों को मिलाकर संतुलित मात्रा में खिलाएं। साथ ही यह भी आवश्यक है कि भोजन में गाढ़ापन हो उसमें पानी की मात्रा बहुत नहीं होनी चाहिए। खाने में एक चम्मच देसी घी का अवश्य प्रयोग करें यदि नहीं है तो उसकी जगह सरसों के तेल का उपयोग करना चाहिए।
परिवार का ख्याल रखें पुरुष
ग्राम प्रधान सरस्वती देवी ने बताया कि हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है और कहीं न कहीं पुरुषों कि यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने परिवार का ख्याल रखें। गृहस्थी की गाड़ी महिला व पुरुष दोनों के साथ ही चलती है अत: बच्चे के लालन-पोषण में पिता को भी अपनी भागीदार सुनिश्चित करते हुये पत्नी का पूरा सहयोग करना चाहिये।