लखनऊ। राजधानी में एक बार फिर से कमीशनखोरी और दलालों के चक्कर में आने से एक मरीज की जान पर बन आई। यही नहीं फैजाबाद रोड स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में जब मरीज की हालत गंभीर हुई तो उसे भगा दिया। डॉक्टरों ने वेंटिलेटरयुक्त एम्बुलेंस तक मुहैया नहीं कराई।
ट्रॉमा सेंटर में मरीज को वेंटिलेटर नहीं मिला। फिलहाल चौक के प्राइवेट अस्पताल में मरीज का इलाज चल रहा है। वहीं इस मामले में सीएमओ नरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो हॉस्पिटल के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी।
कमीशन का चक्कर
सीतापुर निवासी विमलेश (25) छह दिन पहले सड़क हादसे में घायल हो गया था। विमलेश के सिर, हाथ, पैर व पेट आदि में चोटे आई हैं। परिवारीजन गंभीर अवस्था में मरीज को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। डॉक्टरों ने हालत गंभीर बताते हुए मरीज को ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। ट्रॉमा सेंटर में बेड खाली नहीं थे। परिवारीजन मरीज को भर्ती करने की गुजारिश की।
न्यूरो सर्जरी विभाग में मरीज को एक भी बेड नहीं मिला। गंभीर अवस्था में परिवारीजन मरीज को लेकर लोहिया अस्पताल ले जा रहे थे। तभी ट्रॉमा गेट पर एम्बुलेंस चालक मिला। उसने किफायती व बेहतर इलाज मुहैया कराने का झांसा देते हुए मरीज को फैजाबाद रोड स्थित कुकरैल बंधे के पास निजी अस्पताल लेकर पहुंचा दिया। बड़े भाई प्रेम का आरोप है पहले काउंटर पर करीब 90 हजार रुपए जमा कराए गए।
नहीं किया रेफर
इलाज के बाद भी जब विमलेश की तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो परिवारीजनों ने रेफर करने को कहा। इसके बावजूद डॉक्टरों ने विमलेश की तबीयत में सुधार की बात कही। करीब पांच दिन मरीज को भर्ती रखा। इस दौरान दवा आदि पर करीब डेढ़ लाख रुपए वसूल लिए गए। शुक्रवार दोपहर सांस लेने में तकलीफ बढऩे पर मरीज को बलरामपुर अस्पताल रेफर कर दिया गया।
वहां वेंटिलेटर की जरूरत बताते हुए मरीज को ट्रॉमा सेंटर भेज दिया गया। ट्रॉमा में वेंटीलेटर खाली नहीं हैं। दुखी परिवारीजनों ने चौक के प्राइवेट अस्पताल में मरीज को भर्ती कराया। यहां मरीज जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। भाई प्रेम का आरोप है कि यदि समय पर प्राइवेट अस्पताल में मुकम्मल इलाज मिल जाता तो विमलेश की हालत इतनी गंभीर न होती।