लखनऊ। दीपावली पर लखनऊवासियों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ताक पर रखकर खूब पटाखे फोड़े। बुधवार (7 नवंबर) देर रात जले पटाखों ने शहर की हवा में जहर घोल दिया। दीपावली के अगले दिन 8 नवंबर को लखनऊ का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 412 तक पहुंच गया। यह बेहद खतरनाक श्रेणी में आता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार मानसून के बाद से यह शहर में हवा की सबसे बदतर हालत है। दीपावली की अगली सुबह ज्यादातर इलाकों में प्रदूषण की वजह से धुंध की मोटी चादर दिखी। शुक्रवार को शहर का एक्यूआई थोड़ा संभलकर 325 हुआ लेकिन यह भी सामान्य से बहुत ज्यादा है। आईआईटीआर की रिपोर्ट के मुताबिक दीपावली वाले दिन इंदिरानगर और विकासनगर शहर के सबसे प्रदूषित इलाके रहे।
सीपीसीबी सूची में देश का छठवां सबसे प्रदूषित शहर
दीपावली के दिन लखनऊ यूपी के चौथे सबसे प्रदूषित शहर और सीपीसीबी सूची में देश का छठवां सबसे प्रदूषित शहर दर्ज किया गया। सेंटर फॉर एन्वायरमेंट एंड एनर्जी डेवलेपमेंट (सीड) की ओर से दीपावली की रात और उसकी अगली सुबह जारी किए गए नतीजों में दावा किया गया है कि लखनऊ में हवा सांस लेने लायक नहीं थी। लखनऊ में अगली सुबह हवा में पीएम 2.5 की मौजूदगी 386 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, जो राष्ट्रीय औसत से चार गुना अधिक है।
सीड की वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी अंकिता ज्योति ने बताया कि पटाखों के कारण नाइट्रेट्स, सल्फर, चारकोल, अल्युमिनियम, टाइटेनियम, कॉपर, स्ट्रोनटियम, बोरियम और डेक्स्ट्रिन जैसे तत्व हवा में मिलकर उसे जहरीला बना देते हैं। इनके कण ही हवा से मिलकर स्मॉग का रूप ले लेते हैं।
लखनऊ के ये इलाके सबसे प्रदूषित
सीड ने स्थानीय स्तर पर एयर क्वालिटी के आकलन के लिए निशातगंज, तालकटोरा, लालबाग और सेंट्रल स्कूल आदि क्षेत्रों में स्थापित मॉनिटरिंग स्टेशनों से प्राप्त औसत चार घंटे के पीएम 2.5 के स्तर का तुलनात्मक अध्ययन किया है। तालकटोरा और लालबाग में एयर क्वालिटी सबसे खराब स्तर की पायी गयी।
तालकटोरा में औसतन चार घंटे का पीएम 2.5 संकेंद्रण 936 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। वहीं यह 880 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ दूसरा सबसे ऊंचा स्तर लालबाग में रहा। औसत चार घंटे का पीएम 2.5 संकेंद्रण सेंट्रल स्कूल और निशातगंज में क्रमश: 733 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और 788 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा।