लखनऊ। भारत में लगभग 3 करोड़ अस्थमा व 3 करोड़ सीओपीडी के मरीज है, जिनमें से आधे से ज्यादा सांस के मरीजों की प्रमाणिक जांच नहीं हो पाती है। पीएफटी के द्वारा फेफड़े के कारण होने वाले समस्त सांस के रोग जैसे सीओपीडी, अस्थमा, ब्रोनकाइटिस, इंटेसटिटियल लंग डिजीजेस (आईएलडी) इत्यादि बीमारियों की तीव्रता का मापन कर के इनका निदान किया जाता है। उक्त बातें इंडियन चेस्ट सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सूर्यकान्त ने कहीं।
पीएफटी प्रशिक्षण
यह मौका था सांस के रोगों को पहचानने के लिए किया जाने वाला प्रामाणिक स्पाइडोमेट्री टेस्ट के प्रशिक्षण के लिए दो दिवसीय पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी) प्रशिक्षण का। केजीएमयू में गुरुवार को सम्पन्न कार्यशाला में इंडियन चेस्ट सोसाइटी के अध्यक्ष रहे केजीएमयू के रेस्पाइरेटरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो सूर्यकांत ने प्रशिक्षण लेने वालों को सार्टीफिकेट प्रदान किये।
पीएफटी जांच का यह है फायदा
प्रो. सूर्यकान्त ने बताया कि इंडियन चेस्ट सोसाइटी द्वारा इस तरह की प्रशिक्षण कार्यशाला पिछले दस वर्षों से देश के दस केन्द्रों पर कराई जाती है, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग केजीएमयू उनमें से एक है। पीएफटी जांच से सांस की बीमारियों का प्रारम्भिक अवस्था में पता लगाया जाता है। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को फेफड़ों की संरचना, कार्य विधि व कार्य क्षमता इत्यादि के विषय में बताया गया। साथ ही साथ पीएफटी मशीन के द्वारा रोगियों की जांच कैसे की जाती है, इसका भी पूर्ण प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
जांच में लाभदायक सिद्ध होंगे
इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एण्ड एप्लाइड इम्यूनोलोजी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रो. सूर्यकान्त ने कहा कि विभिन्न प्रदेशों से आये हुए प्रतिभागी जब यहां से प्रशिक्षण लेकर जायेंगे तो हमारे समाज के सांस के रोगियों की जांच में लाभदायक सिद्ध होंगे। समापन समारोह में प्रो सूर्यकान्त ने सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट प्रदान करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की और सभी लोगों के साथ ग्रुप फोटो लेने के बाद प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न हुयी।
ये थे मौजूद
इस कार्यशाला में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रो एस. के. वर्मा, प्रो राजीव गर्ग, प्रो संतोष कुमार, डा. अजय वर्मा, डॉ आनंद श्रीवास्तव और डॉ. दर्शन बजाज भी उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम को क्रियांवित करने में सीनियर रेजिडेन्ट डा. ज्योति बाजपेयी, डा. मनोज पाण्डेय, पी.एफ.टी. लैब के इंचार्ज सुनील मौर्या तथा उनकी टीम और शोध छात्र अनुज पाण्डेय ने भरपूर सहयोग प्रदान किया