न्यूयॉर्क। गर्भवती महिलाओं में समय से पहले होने वाली प्रसव-पीड़ा के लिए गर्भस्थ शिशु की प्रतिरोधी क्षमता में विकास एक वजह हो सकती है। इस बात का आकलन एक हालिया शोध के नतीजों में किया गया है। कई ऐसे मामले देखने को मिलते हैं जब गर्भ की परिपक्वता के 37वें सप्ताह के पूर्व गर्भवती महिलाओं को तकलीफ बढ़ जाती है, जिस कारण समय से पहले प्रसव हो जाता है।
कभी-कभी ऐसा हो सकता है कि भ्रूण की प्रतिरोधी क्षमता जाग्रत हो जाने से वह माता के गर्भ के परिवेश को स्वीकार करना बंद कर देता है, जिसके कारण गर्भाशय में संकुचन पैदा होता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, भ्रूण की प्रतिरोधी क्षमता के कारण गर्भवती महिलाओं में समय से पहले प्रसव-पीड़ा होने लगती है।
उनका कहना है कि भ्रूण की प्रतिरक्षी कोशिकाएं माता की कोशिकाओं को लेकर उलझन में रहती हैं और माता की कोशिकाओं से खतरा महसूस करती हैं, जोकि दाह पैदा करने वाली रसायन के रूप में प्रकट उत्पन्न होता है।