गोरखपुर/लखनऊ। दूध की शुद्धता जानने के लिए अब भारी भरकम मशीनों की जरूरत नही पड़ेगी। घर पर ही आप आसानी से दूध की शुद्धता और गुणवत्ता की जानकारी कर सकेंगे। इण्डियन इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलोजी गुवाहाटी के वैज्ञानिक डॉ. प्रान्जल चन्द्रा ने एक ऐसा मोबाईल ऐप और पेपर सेंसर किट तैयार किया है जिससे दूध की शुद्धता आसानी से परखा जा सकता है।
ऐसा किया गया
वैज्ञानिक प्रान्जल का दावा है कि दूध में मिलने वाला एन्जाइम अलकालाइन फास्फेट (एएलपी) दूध की शुद्धता का कारक होता है। शुद्धता जानने के लिए वैज्ञानिकों ने फिल्टर पेपर को छोटे गोल टुकड़ों में काट दिया और केमिकल प्रोब में एएलपी के रियेक्ट कराया। इसके बाद पेपर पर दूध की एक बंूद डालने के बाद स्मार्ट फोन से फोटो खींच ऐप से स्केन किया। इसके बाद ऐप में पहले से स्टोर बैल्यू अपने न्यूनतम स्तर पर आती है तो दूध की गुणतत्ता खराब मानी जाती है।
कीमत करीब 80 से 125 रुपये के बीच
डॉ. प्रान्जल चन्द्रा के अनुसार पेपर किट और ऐप की मद्द से 15 मिनट में दूध की गुणवत्ता को आसानी से जांचा जा सकता है। इस विशेष पेपर किट की कीमत करीब 80 से 125 रुपये के बीच होगी जिसका इस्तेमाल हर कोई कर सकता है। डॉ. प्रान्जल चन्द्रा ने बाताया कि यह रिसर्च जल्दी ही बायो सेन्सर और बायो इलेक्ट्रानिक्स जर्नल में प्रकाशित होगा। राज्य सभा टीवी ने डॉ. चन्द्रा के लैब और इस पूरे प्रयोग का विडीयो बनाया है।देश विदेश की कई कम्पनियां इस टेक्नोलॉजी का उपयोग के लिए डॉ. प्रान्जल चन्द्रा के सम्पर्क में हैं। गोरखपुर निवासी डॉ. चन्द्रा दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के गणित विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रमेश चन्द्र श्रीवास्तव के पुत्र है। डॉ. प्रान्जल दर्जनों जर्नल के ऐडिटोरियल बोर्ड के सदस्य है और डिपार्टमेन्ट आफ साइंस एण्ड टेक्नोलोजी भारत सरकार द्वारा प्रदत्त रामानुज फेलो है।