लखनऊ। एनएबीएच व एनएबीएल मान्यता प्राप्त गोमतीनगर स्थित सहारा हास्पिटल में वाल्व की खराबी को दूर कर मरीज की जान बचायी गई। यह मरीज चलने-फिरने को मोहताज था लेकिन हास्पिटल के कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. विशाल श्रीवास्तव ने इस मरीज को उसकी समस्या से छुटकारा दिलाया। जिला बलरामपुर निवासी 36 वर्षीय कैलाश को सांस फूलने की वजह से सांस लेने में दिकत थी।
एक वाल्व की हुई थी सर्जरी
उन्होंने स्थानीय हास्पिटल मे΄ दिखाया जहां कुछ जांचों को बाद दवाएं दी गयीं लेकिन मरीज को लाभ नहीं हुआ। कई साल पहले इस मरीज का एक वाल्व की सर्जरी हुई थी। अब मरीज का दूसरा वाल्व खराब हो गया। ऐसी हालत में उसके हृदय काफी कमजोर हो चुका था और कई जगह परामर्श लिया पर जोखिम की वजह से सभी ने सर्जरी करने से मनाकर दिया। फिर सहारा हास्पिटल में मरीज को कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. विशाल श्रीवास्तव को दिखाया। मरीज की जांच रिपोर्ट के आधार पर डॉ. श्रीवास्तव ने इसे चुनौतीपूर्ण केस मानते हुए रीडू सर्जरी करने का फैसला लिया। ऑपरेशन के लिए मरीज की छाती को दोबारा खोलना पड़ा।
नया वाल्व लगा दिया
डॉ. विशाल ने बताया इस सर्जरी मे΄ मरीज की जान का जोखिम था। सर्जरी के दौरान इस बात का खास ध्यान रखा गया कि वाल्व जो पहले किसी हास्पिटल में लगाया गया था वह खराब न होने पाए। डॉ. ने सर्जरी के बाद नया वाल्व लगा दिया। ठीक होने पर जब मरीज को पता चला इतनी जटिल सर्जरी में सफलता मिली तो उसने आभार व्यक्त किया। एक सप्ताह चले इलाज के बाद मरीज को हास्पिटल से छुट्टी दे दी गयी और वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। सहारा इंडिया परिवार के सीनियर एडवाइजर अनिल विक्रम सिंह ने बताया सहाराश्री ने मरीजों के इलाज के लिए ऐसा हास्पिटल बनाया है। जहां चिकित्सकों की टीम निरंतर जटिल सर्जरी करके मरीजों को नया जीवन दे रही है।