सीतापुर। मीजिल्स-रूबेला (एमआर) टीकाकरण अभियान के बाद जनपद में खसरा के मरीजों में कमी आई है। सोमवार को एक होटल के सभागार में एक दिवसीय एमआर सर्विलांस कार्यशाला वर्कशॉप का आयोजन हुआ। इसमें कार्यशाला में मौजूद चिकित्साधिकारियों को इस बीमारी के प्रति और संजीदगी से काम करने की नसीहत दी गई। खसरा के एक-एक केस की रिपोर्ट करनी होगी। किसी इलाके में पांच से अधिक मरीजों के मिलने पर अभियान चलाया जाएगा।
टीम भावना के साथ मिलकर काम करें
एक दिवसीय कार्यशाला वर्कशॉप का उद्घाटन मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आरके नैयर ने किया। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से पोलियो को जड़ से खत्म किया गया है, उसके बावजूद अभियान अब अभी भी जारी है। ठीक उसी प्रकार मीजिल्स-रूबेला जैसी बीमारी को भी हराना है। पूर्व में चले अभियान के काफी अच्छे नतीजे आए हैं। आगे भी इसी तरीके से काम करना है। टीम भावना के साथ सभी मिलकर कार्य करें।
तुरंत दें रिपोर्ट
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. पी के सिंह ने कहा कि किसी भी इलाके में अगर मीजिल्स (खसरा) का कोई रोगी मिलता है तो उसकी रिपोर्ट दें। एक से अधिक मरीजों के मिलने पर संबंधित इलाके में अभियान चलाएं। लापरवाही कतई न बरती जाए। केस मिलने पर एक सप्ताह के अंदर खून की जांच व गले की जांच अवश्य की जाए।
खसरा के रोगियों की संख्या में कमी भी आई
डॉ. पीके सिंह ने बताया कि 26 नवंबर 2018 से 15 फरवरी 2019 तक पूरे जनपद में एमआर टीकाकरण अभियान चलाया गया था। इसमें 9 माह से 15 साल के 101 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण किया गया था। अभियान सफल रहा। जिसकी वजह से अब खसरा के रोगियों की संख्या में कमी भी आई है। अभियान के बाद क्या स्थिति है, इस पर सभी चिकित्साधिकारियों को फोकस करना है। ओपीडी से लेकर आंगनबाड़ी केंद्र में कहीं भी कोई संदिग्ध खसरा का मरीज मिलता है तो उसकी रिपोर्ट तत्काल दें ताकि सही समय पर उपचार शुरू हो सके। मरीजों के जो ब्लड सैंपल लिए जाएंगे वह वो जांच के लिए सीधे लैब में भेजे जाएंगे।
ये थे मौजूद
डब्ल्यूएचओ की प्रभारी सर्विलांस मेडिकल ऑफीसर डॉ. सुरभि त्रिपाठी ने भी वर्कशॉप में विस्तार से जानकारी दी। इस मौके पर, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी राजकुमार, सभी पीएचसी-सीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारी, चिकित्साधिकारी, कोल्ड चैन हेंडलर, फार्मासिस्ट आदि मौजूद रहे।