लखनऊ। आईएमए ने विश्व टीबी डे, 2019 के मौके पर लोगों को टीबी के बारे में जागरूक बनाने के उद्देश्य से जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया । कार्यक्रम का उद्धेश्य इस भयावह बीमारी के बारे में आम लोगों में जागरूकता बढ़ाना तथा सन 2025 तक इस बीमारी के प्रकोप तथा इसके कारण होने वाली असामयिक मृत्यु एवं विकलांगता को खत्म करना था।
जिसके साथ ही आईएमए ने नारा दिया है – आईएमए का नारा, टीबी से छुटकारा। इस कार्यक्रम का शुभारंभ आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. शांतनु सेन के द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ । इसके बाद विश्व टीबी डे की 137 वीं वर्शगाठ के प्रतीक के तौर पर 137 गुब्बारे उड़ाए गए जिसमे आईएमए के महासचिव डॉ आर वी अशोकन भी शामिल रहे ।
नुक्कड नाटक के माध्यम से लोगों को किया जागरूक
जन जागरूकता का यह कार्यक्रम पूरे भारत में आईएमए की सभी 1750 शाखाओं की ओर से आयोजित किया गया। इन कार्यक्रमों के मुख्य आकर्षणों में टीबी पर आधारित नुक्कड नाटक का आयोजन शामिल था । इसके अलावा प्रषिक्षण कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ। इसमें कई स्वयंसेवी संस्थाएं ने हिस्सा लिया । प्रषिक्षण कार्यक्रम में 500 से अधिक छात्र, एनजीओ कार्यकर्ता और स्वास्थ्यकर्मी ने भाग लिया ।
महिलाओं में टीबी को लेकर लापरवाही
आईएमए के मानद वित्त सचिव डाॅ. रमेश दत्ता ने इस सिलसिले में बताया,विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से उपलब्ध कराए गए हाल के आंकड़ों के अनुसार भारत औषधि संवेदी (ड्रग सेंसेटिव) एवं बहु औशधि प्रतिरोधी (मल्टी ड्रग रजिसटेंस) तपेदिक के मामले में आगे है। तपेदिक से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा महिलाओं में टीबी को लेकर लापरवाही है। अध्ययनों से पता चलता है कि महिलाओं में टीबी के मामलों की अनदेखी होती है। यही नहीं इन महिलाओं में मृत्यु दर भी अधिक है। इस बीमारी के प्रबंध में आने वाली बाधाओं को कारगर तरीके से दूर करने तथा टीबी के मामलों को सामने लाने के लिए हमें आगे आने तथा एकजुट होकर रणनीतियां बनाने की जरूरत है।
छः से नौ माह तक एंटीमाइक्रोबायलॉजी दवाइयों से मरीजों का इलाज जरूरी
आईएमए के पूर्व मानद महासचिव डाॅ. नरेन्द्र सैनी ने बताया है कि टीबी से मरने वाले रोगियों में तीन प्रतिशत की गिरावट हुई थी। आईएमए सन 2025 तक टीबी के मामलों में 80 प्रतिशत तक की कमी लाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे देश में हर साल टीबी के मामलों में बढ़ोतरी का एक कारण गुप्त टीबी है। हालांकि रोग के प्रकट होने पर रोग के लक्षण गंभीर होते हैं और ऐसे में छः से नौ माह तक एंटीमाइक्रोबायलॉजी दवाइयों से मरीजों का इलाज होना जरूरी है।
भारत सरकार की ओर से किए जाने वाले कार्यक्रमों के परिणामों को अधिकतम करने के लिए आईएमए अपनी तरफ से प्रयास कर रहा है। पिछले छह महीनों से पूरे भारत में आईएमए की ओर से सीएमई और जन जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है और इनसे साकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं।