लखनऊ। प्रदेश के 51 जनपदों में विभिन्न चिकित्सालय के कर्मचारियों की सेवाएं 30 मार्च को समाप्त हो रही थी क्योंकि यूपीएचएसएसपी परियोजना एवं फर्म टी एंड एम मुंबई का अनुबंध 30 मार्च को समाप्त हो रहा था। इससे प्रदेश के लगभग 10000 कर्मचारी बेरोजगार हो रहे थे। संयुक्त स्वास्थ आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ द्वारा जनपदों में विभिन्न पदों पर कार्यरत कर्मचारियों द्वारा आंदोलन कराया गया था जिस पर प्रदेश सरकार द्वारा परियोजना को 6 माह के लिए बढ़ाया गया और इसके बाद कर्मचारियों को एनआरएचएम के तहत समायोजित करने का आश्वासन मिला था।
अनुबंध विस्तारित कर दिया
आज शासन द्वारा परियोजना बढ़ाने पर परियोजना निदेशक ने टी एंड एम कंपनी का अनुबंध विस्तारित कर दिया है। जिससे कर्मचारियों का रोजगार बना रहेगा इस कदम के लिए संविदा कर्मचारी संघ प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त करता है। लेकिन हर वर्ष इस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न ना हो तथा युवा बेरोजगारी की स्थिति में ना आए इसके लिए सरकार को सभी आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को सेवा प्रदाता फर्म से सीधे विभागीय संविदा में समायोजित करना चाहिए क्योंकि इस व्यवस्था में कर्मचारियों का आधा वेतन बिचौलिए के पास चला जाता है जिस से कर्मचारियों को काफी हानि होती है।
दो साल से कर रहे आंदोलन
यूपीएचएसएसपी परियोजना के अलावा प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग में लगभग 200000 कर्मचारी आउटसोर्सिंग व्यवस्था पर कार्यरत है जिनको विभागीय संविदा पर समायोजन किया जाना नितांत आवश्यक है। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ द्वारा पिछले 2 वर्ष से लगातार आंदोलन किया जा रहा है। प्रदेश सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेकर व्यवस्था में बदलाव करना चाहिए कई बार आश्वासन के बाद भी स्थाई नीति सरकार द्वारा प्रदेश में लागू नहीं की गई। कर्मचारी लगातार शोषित हो रहे हैं।
आउटसोर्सिंग की स्थाई नीति लागू करक सरकार
कर्मचारी संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी सच्चिदानंद मिश्रा ने कहा कि प्रदेश सरकार को लाखों युवाओं के समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि यह युवा कर्मचारी स्थाई पदों के सापेक्ष में चिकित्सा जैसी अति महत्वपूर्ण व्यवस्था में कार्य कर रहे हैं। बार-बार इनकी उपेक्षा करने पर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं भी बाधित होती हैं। इसलिए सरकार जल्द इसका निराकरण करें प्रदेश में सभी विभागों में आउटसोर्सिंग की स्थाई नीति लागू करें और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को विभागीय संविदा पर समायोजित करें।