लखनऊ। आज के समय में टेक्नोलॉजी एक वरदान है लेकिन इसका सही इस्तेमाल होना चाहिए। स्मार्टफोन और लैपटॉप लोगों की जरूरत बन गई है। आजकल के युवा ऑनलाइन खेल के लती हो रहे हैं। यह ज्यादा खतरनाक है। करीब पांच प्रतिशत आबादी टेक्नोलॉजी एडिक्शन की शिकार हो चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जून 2018 में ऑनलाइन खेल को मानसिक रोग करार दे चुका है।
खतरनाक है ऑनलाइन खेल
शराब से ज्यादा खतरनाक ऑनलाइन (गेमिंग) खेल हैं। यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। लोग सुबह से लेकर देर रात तक मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। लोग अपनों से दूर हो रहे हैं। शुक्रवार को यह गंभीर चिंता चंडीगढ़ पीजीआई के मानसिक रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. देबाशीष बसु ने जाहिर की है। वह शुक्रवार को केजीएमयू मानसिक रोग विभाग के 48वें स्थापना दिवस कलाम सेंटर में समारोह को संबोधित कर रहे थे।
सामाजिक दायरा घट रहा
डॉ. देबाशीष बसु ने कहा कि टेक्नोलॉजी लोगों के लिए वरदान है लेकिन उसका सही इस्तेमाल होना चाहिए। इसके लिए लोगों में जागरुकता पैदा करने की जरूरत है। सोशल मीडिया का दायरा लगातार बढ़ रहा है। यह लोगों के दिलों दिमाग पर नशे की तरह छा रहा है। डॉ. बसु ने कहा कि मोबाइल, इंटरनेट और लैपटॉप दिमाग के साथ सेहत का भी दुश्मन बन गया है। लोगों का सामाजिक दायरा घट रहा है। अवसाद व अकेलापन के शिकार हो रहे हैं। लोगों की उम्मीदें बढ़ रही हैं। उन्होंने बताया कि आमने-सामने वाली बातचीत की कमी आ रही है। लोग देर रात तक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। नींद कम ले रहे हैं। इससे अन्य समस्याएं भी आ रही हैं।