लखनऊ। आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में तनाव व खान-पान में अनियमितता के कारण लोग कैंसर, हाईपरटेंशन व शुगर जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। युवा वर्ग भी इससे अछूता नहीं है। इन बीमारियों से निपटने के लिए सरकार पूरी तरह सजग है। अब नयी तकनीक यानि अनमोल टैबलेट के माध्यम से इन रोगों से ग्रसित लोगों की पहचान कर उनका इलाज सरकार द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा।
एप्लिकेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम
यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियो वस्कुलर डिजीज एंड स्ट्रोक (एनपीसीसीडीएस)के तहत एएनएम व सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) के लिए गैर संचारी रोगों के संबंध में अनमोल टैबलेट के दो दिवसीय एप्लिकेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कही। इस दौरान एक बीसीपीएम, 17 सीएचओ व 17 एएनएम सहित कुल 35 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया।
परिवार का विवरण फार्म भरेंगी आशा
टाटा ट्रस्ट के उत्तर भारत के प्रमुख व राज्य स्तरीय प्रशिक्षक अनिल मिश्रा ने प्रशिक्षण देते हुये कहा कि 30 वर्ष से ऊपर की आयु के लोगों की स्क्रीनिंग आशा कार्यकर्ता के द्वारा की जाएगी। इसके लिए आशा अपने क्षेत्र के परिवार का विवरण फार्म भरेंगी। सीएचओ द्वारा चिन्हित लोगों की स्क्रीनिंग की जायेगी। इस एप के द्वारा तीन तरह के कैंसर- ब्रेस्ट, सर्वाइकल व ओरल , हाइपरटेंशन व शुगर के मरीजों की स्क्रीनिंग होगी।
पीएचसी पर इलाज नहीं तो सीएचसी पर
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के डीसीपीएम व प्रशिक्षक विष्णु प्रताप ने कहा कि सीएचओ द्वारा स्क्रीनिंग के बाद एनएनएम उसका डाटा अपने टैब में फीड करेगी। स्क्रीनिंग के बाद सीएचओ चिन्हित मरीजों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (पीएचसी) पर संदर्भित करेंगे। पीएचसी पर इलाज संभव है तो किया जाएगा, अन्यथा उसे सीएचसी पर संदर्भित किया जाएगा।
समय पर रोग की पहचान कर कर पाएंगे इलाज
एनपीसीसीडीएस के नोडल अधिकरी व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी कर्नल डॉ. मनोज यूदि ने कहा कि इसमें आशा, एएनएम व सीएचओ कि महत्वपूर्ण भूमिका है। इस तरह से हम समय पर रोग की पहचान कर उसका इलाज कर पाएंगे। इसके साथ ही लोगों को इससे बचने के उपाय भी बता पाएंगे ताकि वह अपनी जीवन शैली में सुधार करें और बीमारियों की चपेट में आने से बच सकें। इस अवसर पर एसीएमओ डॉ. आरके चौधरी, गोसाईगंज की बीसीपीएम व प्रशिक्षक सरिता भी उपस्थित थीं। कार्यक्रम के अंत में मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।