लखनऊ। लकवा एक ऐसी बीमारी है जो कभी भी किसी समय शरीर में हो सकती है। इसमें मानव के शरीर का कोई भी हिस्सा शून्य हो जाता है, इसमें जीवित व्यक्ति भी निर्जीव की तरह बेजान रहता है। केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज ने बताया कि न्यूरोलॉजी विभाग में साल में लगभग 1000 से 1200 तक पैरालाईसेस (लकवा) के मरीज आते हैं, जिसमें ज्यादातर ठंड में लकवा के मरीजों की संख्या बढ़कर दो से तीन गुना हो जाती है।
क्या है लकवा
डा. नीरज ने बताया कि लकवा या स्ट्रोक या कहिए पक्षाघात मस्तिष्क की एक बीमारी है। यह दो प्रकार का हो सकता है। स्ट्रमिक स्ट्रोक में 80 से 85 प्रतिशत दूसरा हीमोराजिक स्ट्रोक 10 से 15 प्रतिशत स्ट्रोक का खतरा होता है जो कि दिल से मस्तिष्क की ओर जाने वाली रक्तवाहिनियों के फटने और दूसरा उनके बंद होने के कारण। जब एक या अधिक मांसपेशी समूह की मांसपेशियां पूरी तरह से काम करने में असमर्थ हो जाती हैं तो इस स्थिति को पक्षाघात या लकवा मारना कहते हैं।
सर्दियों में रहें सावधान
डॉ. नीरज के मुताबिक ठंड में जो लोग सुबह टहलने निकलते है उन्हें सुबह छ: बजे के बाद निकलना चाहिए। अगर आप ठंड के खुले मौसम में सोते या फिर टहलते हैं तो लकवा होने की अधिक संभावना हो सकती है, क्योंकि जाड़ों में शरीर की धमनिया सुकड़ जाती हैं जिससे हर्ट अटैकस्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती हैं और साथ ही बच्चों व किशोर अवस्था के लोगों को दमाग की नसे फटने का अधिक डर रहता है जिसमें उन्हें हीमोरॉजिक स्ट्रोक व स्ट्रमिक स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
इन आहारों से शरीर को मिलेगी गर्मी
पैरालिसिस के रोगी को अनाजो में चोकर युक्त आटे की रोटी, पुराना चावल, दलिया, बाजरा, उड़द, मूंग की दाल, मछली, मीट, अण्डा का सेवन करें। फलों में अंजीर, अंगूर, आम, कद्द,ू सेब, नाशपाती, पपीता खाएं।
केजीएमयू में पहुंचे 10 लकवा के मरीज
केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग में साल में लगभग 1000 से 1200 तक पैरालाईसेस (लकवा) के मरीज आते हैं। ठंड का मौसम आते ही नवम्बर में लकवा के छ: मरीज भर्ती हुए। इसमें एक की मृत्यु हो चुकी है। हालांकि एक मरीज की हालत अभी गंभीर बनी हुई और चार का इलाज चल रहा है। सबसे ज्यादा लकवा के मरीज ठंड के मौसम में प्रतिदिन 10 से 20 तक आते हैं।
इलाज का तरीका
जब कभी किसी को अचानक लकवा का अटैक पड़ता है तो उसे स्ट्रमिक स्ट्रोक कहते हैं, हालांकि इसमे पहले थम्बोलेसिस के इन्जेक्शन लगते हैं। इंजेक्शन के बाद लगभग 4.30 घंटे के अंदर खून की जांच, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, ईसीजी लगभग ये सभी जांच करा लेनी चाहिए उसके बाद दवा दी जाती हैं, हालांकि इसकी दो दवाएं होती हैं, जिसका नाम टीएक्टिवप्लेज और अल्टाप्लेज, टीएक्टिवप्लेज जिसमें एक नयी दवा है जोकि अल्टाप्लेज पहले से केजीएमयू के ट्रामासेंटर के इमरजेंसी में उपलब्ध हैं।
डॉ. नीरज के मुताबिक लकवा के इलाज के लिए अल्टाप्लेज इंजेक्शन की कीमत लगभग 50,000 से 60,000 है। केजीएमयू प्रशासन को सरकार द्वारा एनएचआरएम के तहत जो सरकार सुविधा देती है उसी के आधार पर अल्टाप्लेज दवा फ्री में उपलब्ध है। अगर अस्पताल के स्टॉक में पहले से उपलब्ध है तो उसे मरीज को फ्री लगाया जायेगा।
हालाकि टीएक्टिवप्लेज दवा कीमत 20,000 से 25, 000 है इसके उपरांत यह दवा एनएचआरएम तहत अभी उपलब्ध नहीं है साथ ही इन दवाओं में खाासियत यह है कि टीएक्टिवप्लेज दवा को तुरंत हम बोतल में चढ़ा सकते हैं लेकिन अल्टाप्लेज दवा को देने में 30 से 40 मिनट तक समय लगता है।