लखनऊ। देश की अगली पीढ़ी को स्वास्थ्य महकमा धोखा दे रहा है। विकलांगता से बचाने के लिए पोलियो ड्राप यानी जिंदगी की दो बून्द दवा नौनिहालों तक नहीं पहुंच रही है। कागजों पर ही वैक्सीन पिलाई जा रही है। माल थाना क्षेत्र के अउमऊ गांव के बच्चों को पिलाने के लिए भेजे गए वैक्सीन के दो कैरियर बॉक्स माल दुबग्गा मार्ग स्थित माधव उद्यान के गेट पर बुधवार को ग्रामीणों द्वारा लावारिस हालत में पड़े देखे गए। बॉक्स के अंदर छ: वायल सीलबन्द पाये गए। जानकारी होने पर महकमे के जिम्मेदारों ने एक दूसरे के सिर ठीकरा फोडऩा शुरू कर दिया है।
एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ा
बीते 23 जून से 28 जून तक चलाये गए पल्स पोलियो अभियान में माल की अउमऊ पंचायत के 130 बच्चों को पिलाने के लिए भेजी गई दवा के वैक्सीन कैरियर बॉक्स माधव उद्यान के गेट पर लावारिस हालत में हफ्तों तक पड़े रहे बुधवार को ग्रामीणों द्वारा बैग देखे जाने की खबर उडऩे पर महकमे ने मामले में लीपापोती शुरू कर एक-दूसरे पर ठीकरा फोडऩा शुरू कर दिया है। सूत्रों से पता चला है कि बीते 23 जून को किसी वाहन से कैरियर बॉक्स माधव उद्यान के गेट पर रखवा कर सम्बंधित सुपरवाइजर शिव प्रसाद को फोन पर सूचित कर बॉक्स उठाने का निर्देश सीएचसी से दिया गया था। परन्तु उन्हें उठाया ही नहीं गया। बॉक्स के अंदर रखे छ: वायल सीलबन्द पाये गए। सवाल उठ रहा है कि क्या कोल्ड चेन से फील्ड पहुंचे बिना ही 130 बच्चों ने दवा पी ली है अथवा कागज पर पिला दी गई है।
सुपरवाइजर को ठहराया दोषी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इसके लिए एनजीओ के सुपरवाइजर शिवप्रसाद और नीरज मिश्र को दोषी ठहरा रहा है। अभियान के प्रभारी स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी देवेन्द्र कुमार का कहना है कि अभी पूरे क्षेत्र की रिपोर्ट एकत्रित नहीं हो पाई है। केंद्र अधीक्षक केडी मिश्र ने अभी चार्ज लिया है। उनकी जानकारी में कुछ नहीं है।