लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक ओमप्रकाश का निधन रविवार सुबह किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में हो गया। वह पिछले कुछ दिनों से संक्रमण के कारण मेडिकल कॉलेज में भर्ती थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है। मुख्यमंत्री ने संघ के राजेन्द्र नगर स्थित भारती भवन में स्व. ओमप्रकाश की पार्थिव देह पर श्रद्धासुमन अर्पित किये। उन्होंने कहा कि ओमप्रकाश जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन संगठन एवं समाज के कल्याण में समर्पित कर दिया।
केजीएमयू के एनॉटमी विभाग को सौंपी गई पार्थिव देह
ओमप्रकाश जी ने अपनी देहदान की घोषणा की थी। राजेन्द्र नगर स्थित भारती भवन में उनका शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। इसके बाद शाम को किंग जॉर्ज चिकित्साविश्वविद्यालय के एनॉटमी विभाग को उसे सौंप दिया गया। दरअसल मृत देह किसी काम की नहीं होती, लेकिन इसी मृत देह के जरिए मेडिकल छात्र काबिल डॉक्टर अवश्य बन सकते हैं। एमबीबीएस और बीडीएस की शिक्षा में मृत देह का ठीक वैसे ही महत्व है जैसे किसी मकान के निर्माण में नींव का। केजीएमयू के एनॉटमी विभाग के मुताबिक ऐसे जागरूक लोग जो यह समझते हैं कि मौत के बाद उनकी देह किसी के काम आए तो वह अपना पंजीकरण किसी भी मेडिकल शिक्षण संस्थान के एनाटॅमी विभाग में करवा सकते हैं। इसके लिए हर संस्थान में एक सहमति फॉर्म नि:शुल्क उपलब्ध है।
रसायनों के जरिए सुरक्षित रखते हैं शरीर
फार्म भरने वाले शख्स को इसमें दो गवाह का भी ब्यौरा देना होता है। उनकी यह नैतिक जिम्मेदारी होती है कि पंजीकरण करवाने वाले व्यक्ति की मौत के बाद उसकी देह एनॉटमी विभाग को सौंपे। हालांकि यह दायित्व केवल नैतिक ही होता है। पंजीकरण फॉर्म भरने के बावजूद कोई ऐसा कानून नहीं जिसके जरिए मृत देह एनाटॅमी विभाग को मिले ही। कई बार विभिन्न कारणों से मृत्यु के उपरान्त देह नहीं मिल पाती है। एनाटॅमी विभाग में मृत देह को सुरक्षित रखने के लिए फार्मालिन व अन्य रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह मृत देह एनाटॅमी विभाग में रसायनों के जरिए वर्षों तक सुरक्षित रखी जा सकती है।