लखनऊ। अब आप अपने बच्चों को डंाटना बंद कर दीजिए। आपके बच्चों के दांतों में टॉफी, चॉकलेट, मीठा खाने से कीड़ा नहीं लगेगा। केजीएमयू ने दांत में कीड़ा लगने के का बेहतर इलाज का नया तरीका निकाल लिया है। आमतौर पर बच्चों को डेढ़ साल से तीन साल तक दांत निकल आते हैं। बच्चों के दांत में पहले से ही फ्लोराइड केमिकल का लेप लगा दिया जाता है। बताया गया है कि चार से पांच बार लेप लगाने के बाद दांतों में कीड़ा लगने का खतरा 70 फीसदी तक कम हो जाता है।
लगवा सकते हैं फ्लोराइड कैमिकल का लेप
उक्त जानकारी केजीएमयू दंत संकाय में पीडोडोन्टिक्स विभाग के अध्यक्ष डॉ. राकेश चक ने दी। वह गुरुवार को पीडोडोन्टिक्स विभाग के 51वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश चक ने कहा कि 80 से 90 प्रतिशत बच्चों के दांतों में कीड़े लगने की परेशानी देखने को मिल रही है। बच्चे ऐसा खाना खाते हैं जो दांतों में चिपक जाता है। वह कुल्ला नहीं करते हैं। दांतों को कीड़े से बचाने के लिए माता-पिता फ्लोराइड कैमिकल का लेप दांतों में लगवा सकते हैं। महीने में तीन से चार बार लेप लगवाकर बच्चे के दांतों को बचा सकते हैं।
संक्रमण का खतरा
उन्होंने बताया कि दांतों में कीड़े लगने से बच्चे ठीक से खाना नहीं खा पाते हैं। इसका असर सेहत पर पड़ता है। संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। ऊपर के दांत बच्चे के सबसे पहले खराब होते हैं। वहीं सात साल तक दूध के दांत टूटते हैं। ऐसी दशा में लंबे समय तक कीड़े लगे दांतों को लेकर बच्चे की मानसिक स्थिति भी गड़बड़ा जाती है।
सस्ती व टिकाऊ
हरियाणा स्थित डीएवी डेंटल कॉलेज के डा. नीरज गुगनानी ने बताया कि कीड़े लगे दांतों पर कैप लगवाना आसान हो गया है। बेहद कम कीमत पर दांतों पर कैप लगाई जा रही है। कॉलेज में सस्ती कैप तैयार की है जो महज 250 रुपये में लगाई जा रही है जो सस्ती व टिकाऊ है। अभी तक दांतों पर 26 सौ से तीन हजार के बीच लगाई कैप की कीमत होती थी। इस दौरान डेंटल फैकल्टी के डीन प्रो. शादाब मोहम्मद व डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. विनीता मौजूद थी।
बेस्ट थीसिस अवार्ड से सम्मानित
इस कार्यक्रम में दांतों में लगाए जाने वाले क्राउन को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला संचालन प्रो. नीरज गुगनानी ने किया। इस कार्यशाला में केजीएमयू समेत कई अन्य दंत चिकित्सा संस्थान से 45 स्टूडेंट्स ने भाग लिया। इस अवसर पर एमडीएस थर्ड ईयर की छात्रा जांसी को बेस्ट थीसिस अवार्ड से सम्मानित किया गया। उक्त कार्यक्रम में डॉ. निखिल श्रीवास्तव, डॉ. सीमा चौधरी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किया।