उन्नाव। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत पूरे देश में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों व सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की जांच कर उनका इलाज किया जाता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का उद्देश्य 0 से 19 वर्ष तक के बच्चों में चार प्रकार की विसंगतियों की जांच करना है।
इनको ‘फोर डी’ भी कहते हैं – डिफेक्ट एट बर्थ, डेफिशिएन्सी, डिजीज, डेवलपमेंट डिलेज इंक्लूडिंग डिसेबिलिटी यानि किसी भी प्रकार का विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता। इन कमियों से प्रभावित बच्चों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम नि:शुल्क सर्जरी सहित उपचार प्रदान करता है।
यह है आरबीएसके
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की गाइडलाइन के अंतर्गत 2012-13 में नवजात, शिशुओं, छोटे बच्चों, किशोरों व युवाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से स्वास्थ्य परीक्षण एवं प्रबंधन के लिए बाल स्वास्थ्य गारंटी योजना शुरू किया गया था। यह साल 2013-14 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में समाहित कर लिया गया है।
कार्यक्रम का संचालन
मेडिकल टीम द्वारा स्कूली बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण वर्ष में कम से कम एक बार तथा आंगनबाड़ी केन्द्रों पर वर्ष में दो बार किया जाता है। स्कूल व आंगनबाड़ी केन्द्रों पर विजिट के समय मेडिकल टीम द्वारा ऐसे रोगी छत्रों को तत्काल उपचार दिया जाता है, जिनका इलाज वहीं संभव है और यदि किसी छात्र को विशिष्ट जांच एवं उपचार की आवश्यकता होती है तो उसे संदर्भन पर्ची देकर ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य इकाई अथवा सीएचसी पर संदर्भित किया जाता है।
32 मोबाइल हेल्थ टीम कर रही काम
उन्नाव के डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीईआईसी) मेनेजर, (आरबीएसके) मोहम्मद सलमान खान ने बताया कि जिले में 16 विकास खंडों में आरबीएसके की 32 मोबाइल हेल्थ टीम काम कर रही हैं जो कि लगभग 3173 आंगनबाड़ी केन्द्रों में साल में दो बार व 3285 सरकारी स्कूलों में साल में एक बार जाकर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करती हैं। सलमान खान ने कहा कि हम पूरी टीम की मॉनिटरिंग करते हैं तथा मरीजों व उनके परिवार वालों की काउन्सिलिंग कर उनका इलाज जिला अस्पताल व हायर सेंटर मेडिकल कॉलेज करवाते हैं।
इनका हो चुका है ऑपरेशन
अभी तक 3 बच्चों के जन्मजात हृदय रोग दिल में छेद, 14 बच्चों के कटे होठों ओर तालु, 12 बच्चों के टेढ़े पैर का, 2 बच्चों की प्लास्टिक सर्जरी व 1 बच्चे के रेटिनोब्लास्टोमा का सफल ऑपरेशन करवाया जा चुका है। बच्चे और उनके परिवार वालो में खुशी और उनके होठों पर मुस्कान आयी है। वे सभी बच्चे ठीक हैं। अन्य बच्चों का इलाज चल रहा हैं लखनऊ मेडिकल कॉलेज (अब केजीएमयू) में कुछ बच्चों को ऑपरेशन की डेट मिल गयी है। यह सभी ऑपेरशन निशुल्क होते हैं।