लखनऊ| किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में पिडियाट्रिक और नरसिंह डिपार्टमेन्ट के तत्वाधान में बुधवार को विष्व स्तनपान दिवस मनाया गया जिसकी थीम – जीवन का आधार रखी गई| हालांकि इसका शुभारंभ 1/8/ 1991 को डब्लूएचओ और यूनिसेफ़ के तत्वाधान में हर साल एक अगस्त से आठ अगस्त तक पूरे 120 देशो में एक सप्ताह तक विष्व स्तनपान दिवस मनाया जा रहा है जिसमें हमेशा कहॉ गया है कि माँ का दूध नवजात शिशु के लिए एक मात्र प्रथम वैक्सीन (दवा) कही जाती हैं ,जोकि इस अनमोल प्रयास को और अधिक मजबूत बनाने के लिए केजीएमयू के न्यू ओपीडी के प्रथम तल और ट्रामासेंटर के चौथे तल बने पिडियाट्रिक विभाग में बीएससी की छात्राओं ने एक नुक्कड़ नाटक पेश किया|
जागरूक करने के लिए दिया संदेश
वहॉ आये हुए मरीज और उनके तीमारदार को नुक्कड़ नाटक के द्वारा लोगों को जागरूक कर उन्हें एक संदेश दिया ,जिससे ताकि नवजात शिशुओ को छः माह तक केवल माँ का दूध देना चाहिए क्योंकि वह पर्याप्त है। बाल जीवन घुट्टी या कोई अन्य पेय नही देना चाहिए इससे बच्चे को नुकसान हो सकता है। छः माह के बाद बच्चे को दो वर्ष तक पूरक आहार के साथ-साथ माँ का दूध अवश्य देना चाहिए इससे बच्चे का पर्याप्त विकास होगा। बच्चा बुद्धिमान होगा और भविष्य में देश का स्वस्थ नागरिक होगा इसलिए जरूरी है कि बच्चे को माँ का दूध पर्याप्त समय तक दिया जाये तो बेतर हैं | साथ ही माँ का दूध विशेष रूप से शिशु के लिए ही बना है।
यह शिशु के विकास के लिए पोषण तो देता है साथ ही यह पचने में भी आसान है और इसमें पाये जाने वाले तत्व शिशु और सभी संक्रामक रोगों से सुरक्षा प्रदान करते है। माँ का दूध विशेष रूप से शिशु को दस्त से बचाता है। शिशु जन्म से पहले माँ के गर्भ में सभी संक्रामक रोगों से सुरक्षित रखता है और जन्म के बाद अगले कुछ दिनों तक आने वाले दूध जिसे (कालेस्ट्रम) कहते है शिशु को अवश्य पिलाना चाहिए क्योंकि यह शिशु को अनेक संक्रामक रोगों व बीमारियों से बचाता है।
स्तनपान से शिशु को होने वाले लाभ
- माँ के दूध में पर्याप्त मात्रा में ताकत होती है व उसमें उत्तम प्रोटीन, खनिज लवण, आयरन, पानी व एन्जाइम होते हैं जो शिशु की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं।
- माँ के दूध में गाय के दूध से अधिक मात्रा में लवण, विटामिन डी, ए एवं सी है तथा माँ का दूध स्वच्छ होता है व सभी दूषित जीवाणुओं से मुक्त होता है।
- माँ के दूध में सभी संक्रामक रोगों से लड़ने की शक्ति है तथा यह शिशु को दस्त व सांस की बीमारी से बचाता है।
- माँ का दूध हर पल तैयार मिलता है। बोतल की तरह इसे तैयार नहीं करना पड़ता और यह किफायती है। माँ का दूध सिर्फ खाद्य पदार्थ ही नहीं है बल्कि यह शिशु एवं माँ में प्यार भी बढ़ाता है।
- माँ का दूध पीने वाले बच्चों में बड़े होने पर डायबिटिज, दिल की बीमारियों, अकौता, दमा एवम् अन्य एलर्जी रोग होने की सम्भावना भी कम होती है तथा माँ का दूध पीने वाले शिशुओं की बुद्धि का विकास माँ का दूध न पीने वाले बच्चे से तेज होता है।
ऊपर का दूध पिलाने से होने वाले नुकसान
कुछ माताएं शिशु को अपने दूध के बजाए गाय का दूध या पाउडर का दूध पिलाना पसंद करती हैं। इससे बच्चे को अनेक नुकसान हो सकते है क्योंकि इसमें सही मात्रा में प्रोटीन वसा, विटामिन व खनिज नहीं होते हैं जो शिशुओं के पूरी तरह विकास के लिए आवश्यक है। इससे शिशुओं में संक्रमण की सम्भावना बढ़ जाती है क्योंकि इसमें संक्रमण विरोधी तत्व नहीं पाये जाते। इसके अतिरिक्त शिशु में शिशु को दस्त और निमोनिया की सम्भावना बढ़ जाती है। स्थायी रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
दूध ना पिलाने पर होता है ऐसा
इसके अतिरिकत दूध ना पिलाने वाली माताओं को खून की कमी तथा प्रसव के पश्चात अधिक रक्तस्राव की सम्भावना बढ़ जाती है तथा स्तन एवम् अण्डाशय में कैंसर का खतरा भी ज्यादा होता है। इस कार्यक्रम में केजीएमयू के कुलपति प्रोफेसर मदन लाल ब्रम्ह भट्ट, डॉ. माला कुमार, प्रो सालिनी त्रिपाठी, डॉ.एसएन शंखवार, व अन्य डॉ उपस्थिति रहे। साथ ही इस नुक्कड़ नाटक में बीएससी की छात्राओं को सर्टिफिकेट देकर उन्हें सम्मानित भी किया गया इसमे रोहिनी चौधरी , सोनिका, कल्पना, निकिता, लकी सिंह, अपूर्णा, विशाखा राव, सोनाली मौर्या ,लक्ष्मी सिंह, अचर्ना सिंह स्वेता सिंह व अन्य छात्र छात्राए शामिल रही।