लखनऊ। सुरक्षित मातृत्व को लेकर सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलायी जा रही हैं ताकि मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सके। इसके अलावा सुरक्षित प्रसव पर भी पूरा जोर है, इसके लिए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि गर्भवती की प्रसव के दौरान व प्रसव पश्चात उचित देखभाल हो सके और वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके इनमें जिन योजनाओं की अहम भूमिका है, वह है- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, जननी सुरक्षा योजना व जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम।
कोई पैसा खर्च नहीं
काकोरी विकासखंड के सैथा गांव की नीलू बताती हैं कि अस्पताल में प्रसव के दौरान उनका कोई पैसा खर्च नहीं हुआ बल्कि वह प्रसव हेतु घर से अस्पताल व वापस एंबुलेंस से आई थीं। इसके अतिरिक्त उसे अस्पताल में मुफ्त खाना, नाश्ता भी मिलता था। गर्भावस्था के दौरान सारी जांचें भी मुफ्त हुईं। नीलू का कहना है कि हमने व परिवार वालों ने पहले ही यह तय कर लिया था कि अस्पताल में प्रसव कराएंगे ताकि कोई दिक्कत न हो। इससे बच्चे का जन्म सुरक्षित होगा क्योंकि वहां प्रसव एक प्रशिक्षित डॉक्टर के द्वारा कराया जाएगा।
अस्पताल में ही कराते हैं प्रसव
इसी गांव की आशा कार्यकर्ता उर्मिला का कहना है कि विभाग द्वारा योजनाओं के लागू होने से अब घर पर प्रसव न के बराबर होते हैं लोग अस्पताल में ही प्रसव कराते हैं। इससे जच्चा- बच्चा दोनों ही सुरक्षित रहते हैं। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए हमें भी 600 रुपए मिलते हैं।
पोषण संबंधी दी जाती है सलाह
यह योजनाएं स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित की जाती हैं जबकि राष्ट्रीय स्वास्थय मिशन के अंतर्गत से स्वास्थ्य व समेकित बाल विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से गांव में ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस का आयोजन महीने में दो बार (बुधवार या शनिवार को और उसी महीने के किसी भी अन्य दिन) किया जाता है। इस दिन एएनएम, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तथा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा गांव के आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्भवती व धात्री महिलाओं, बच्चों के स्वास्थ्य की जांच, पोषाहार का वितरण, टीकाकरण तथा स्वास्थ्य व पोषण संबंधी सलाह दी जाती है।
महिलाओं की ये जांच मुफ्त
गोसाईंगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की महिला रोग विशेषज्ञ व मेडिकल आफिसर डॉ. ज्योति कामले का कहना है कि इन कार्यक्रमों के माध्यम से समुदाय को एक सही व सरल सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं जिससे कि जच्चा व बच्चा दोनों ही सुरक्षित रहें। महिलाओं को गर्भावस्था के समय एचआईवी, हीमोग्लोबिन, मधुमेह, पेशाब आदि की जांच मुफ्त की जाती है, प्रसव के लिए अस्पताल ले जाने व वापस घर लाने के लिए मुफ्त एंबुलेंस की सुविधा है यही कारण है कि संस्थागत प्रसव में बढ़ोत्तरी हो रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के अनुसार उत्तर प्रदेश में 67.8 प्रतिशत महिलाएं व लखनऊ जिले में 88.1 प्रतिशत महिलाएं संस्थागत प्रसव कराती हैं।