गर्भावस्था के दौरान बच्चे की सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। इसके लिए मां को अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी गंभीर होती हैं। वहीं कई महिलाएं इसमें लापरवाही बरतती हैं। जो नवजात शिशु के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। मां को खाने-पीने के अलावा भी कुछ ऐसा करना है जिससे कि आपके शिशु की सेहत बेहतर होती है।
100 में से एक शिशु को सुनने संबंधी समस्या
50 डेसीबेल से अधिक तेज आवाज में गाना सुनने से बच्चे की सेहत को होता नुकसान। 100 में से एक शिशु को सुनने संबंधी समस्या जन्म से ही होती है। 25% गर्भवती लापरवाही बरतती हैं, जिसका असर उनके शिशु पर पड़ता है। गर्भावस्था के समय नियमित जांच कराते रहना चाहिए। डॉक्टरी सलाह पर ही सोनोग्राफी जांच करवाएं। ज्यादा भारी काम करने से बचना चाहिए।
प्रेग्नेंसी केयर
गर्भावस्था में महिलाएं जो भी करती हैं उसका सीधा असर गर्भ में पल रहे भ्रूण पर पड़ता है। गर्भधारण के पांचवें महीने के बाद गर्भ में पल रहा शिशु मां की ध्वनि को सुनकर प्रतिक्रिया देना शुरू कर देता है। गर्भकाल में हैडफोन लगाकर धीमी आवाज में गाना सुनना फायदेमंद होता है। इससे बच्चे का शारीरिक विकास बेहतर ढंग से होता है।
मां से गर्भस्थ शिशु का सीधा जुड़ाव
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से गर्भस्थ शिशु का सीधा जुड़ाव होता है। धीमी आवाज में म्यूजिक सुनने से तनाव कम होता है, जिसका लाभ बच्चे को मिलता है। 50डेसीबल से तेज आवाज में म्यूजिक सुनना बच्चे के लिए नुकसानदायक है। बच्चे की श्रवण शक्ति पर भी बुरा असर पड़ता है।
शोर-शराबे वाली जगहों पर जाने से बचें
शोर-शराबे वाली जगह जाने से बचें। तेज आवाज में बोलना भी बच्चे की सेहत पर असर डालता है। गर्भावस्था के दौरान विचार भी सकारात्मक रखने चाहिए। कई शोधों में पाया गया है कि गर्भावस्था में महिलाओं को प्रेरणादायक कहानियां सुनाना लाभकारी रहता है। इससे गर्भस्थ बच्चे का दिमाग तेज होता है।
दिमाग पर असर
गर्भावस्था के दौरान जिन महिलाओं को तनाव और हाइपरटेंशन रहता है अक्सर उन्हें लेबर पेन जल्दी शुरू हो जाता है। इसके साथ ही बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर भी बुरा असर पड़ता है।
विकसित होता कान
पांचवें महीने में शिशु के कान के अंदर, मध्य और बाहरी भाग विकसित होने लगता हैं। 8 घंटे से अधिक समय तक तेज आवाज में रहने से बच्चे पर असर पड़ता है।