लखनऊ। कैंसर का नाम सुनते ही हम निराश हो जाते हैं। कई लोग तो तनाव की स्थिति में आ जाते हैं। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कैंसर का शुरुआती चरण में पता लगने से इसका इलाज पूर्णत: संभव है और पीडि़त मरीज आम लोगों की तरह जीवन व्यतीत कर सकता है। आइए जानते है कैंसर के इलाज की नई ऑर्गन फंक्शन प्रिजर्वेशन तकनीक के बारे में –
कैंसर से जंग में जीत के लिए जरूरी है जागरुकता
मजबूत इच्छाशक्ति के साथ इलाज लेने व बताए गए परहेज से जीवन बेहतर होता है। कई मरीज इसके उदाहरण भी हैं। नई पद्धतियों और दवाओं से मरीज ठीक होकर सामान्य जीवन बिता रहे हैं। कैंसर से जंग में जीत के लिए जरूरी है जागरुकता। इसके लिए ही राष्ट्रीय स्तर पर 7 नवम्बर काे नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे ( National Cancer Awareness Day ) मनाया जाता है।
ऑर्गन फंक्शन प्रिजर्वेशन
कैंसर के मरीजों में ट्यूमर के कारण शरीर में होने वाला दर्द काफी परेशान करने वाला होता है। अब मरीजों को इस परेशानी से बचाने के लिए चिकित्सा जगत में ‘ऑर्गन फंक्शन प्रिजर्वेशन’ तकनीक काफी हद तक उपयोगी साबित हो रही है। इस तकनीक की मदद से शरीर के जिस अंग में कैंसर हुआ है उसके कामकाज को बाधित न करते हुए कैंसर सेल्स को रेडिएशन की मदद से खत्म कर दिया जाता है। यह तकनीक आमतौर पर हड्डी, गले के वॉइस बॉक्स (कंठ), स्तन और ब्लैडर के साथ दिमाग के कुछ कैंसर में प्रयोग की जाती है। इससे मरीज और उसके अंगों को बचाया जा सकता है।
बोन कैंसर
आमतौर पर किसी के हाथ या पैर की हड्डी में कैंसर होने पर पहले उस हिस्से को काटना पड़ता था। अब ऑर्गन फंक्शन प्रिजर्वेशन तकनीक से उस हड्डी को सर्जरी की मदद से काटकर निकाल लिया जाता है। इसके बाद उस हड्डी को लैब में हाई डोज की रेडिएशन दी जाती है जिससे कैंसर सेल्स खत्म हो जाते हैं। इसके बाद उस हड्डी को दोबारा फिक्स कर देते हैं जिसे मेडिकली एक्स्ट्रा कॉरपोरियल रेडिएशन कहते हैं।
लैरिंग्स कैंसर
गले की लैरिंग्स (वॉइस बॉक्स) में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में पहले लैरिंग्स निकाल देते थे जिससे आवाज हमेशा के लिए चली जाती थी। आवाज वापस लाने के लिए आर्टिफिशियल लैरिंग्स का प्रयोग होता था। लेकिन नई तकनीक की मदद से जरूरी स्कैनिंग व एंडोस्कोपी के बाद लैरिंग्स में फैले कैंसर को रेडिएशन की मदद से नष्ट कर देते हैं। रोगी को इलाज के बाद ऑपरेशन कर बचाते हैं।
ब्रेस्ट कैंसर
ब्रेस्ट यानि स्तन कैंसर में बनी गांठ फस्र्ट स्टेज की है या बेहद छोटे आकार की है तो उसे रेडिएशन की मदद से बिना चीरफाड़ या टांके लगाए खत्म कर दिया जाता है। ऐसे में रोगी की स्थिति पर उसकी सिटिंग तय की जाती है। पहले, स्तन में गांठ होने पर पूरे स्तन को निकाल दिया जाता था। लेकिन इस आधुनिक तकनीक से स्तन कैंसर का इलाज काफी सरल और राहतभरा हो गया है।
ब्लैडर कैंसर
पेशाब की थैली में कैंसर ट्यूमर अधिक न फैला हो तो उस भाग को सिस्टोस्कोप से निकालकर कीमोथैरेपी व रेडिएशन के जरिए वहां मौजूद कैंसर सेल्स को खत्म करते हैं। इसका फायदा है कि व्यक्ति का ब्लैडर काम करता रहता है व कैंसर कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। इसमें ब्लैडर की क्षमता यदि 400 एमएल यूरिन स्टोरेज की थी तो घटकर 300 एमएल हो सकती है। पहले कैंसर सेल्स के फैलने पर ब्लैडर निकाल दिया जाता था।
प्रोटॉन थैरेपी कैंसर सेल्स की दुश्मन
कैंसर के इलाज में प्रोटॉन थैरेपी नया तरीका है जिसका प्रयोग पूरे देश में सिर्फ हैदराबाद में हो रहा है। इस तकनीक से शरीर के जिस हिस्से में कैंसर फैला है उसमें रेडिएशन देते हैं जो 100 फीसदी कैंसर सेल्स पर हमला करता है और शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है। इसमें हाई एनर्जी मेगा वोल्टेज रेज (किरणें) उस अंग में दी जाती है जहां ट्यूमर बना है। ये किरणें उस हिस्से में आर-पार होती है और बीम मॉडिफिकेशन टेक्नीक से ट्यूमर को टारगेट किया जाता है। इस तकनीक की कुछ सिटिंग में ही ट्यूमर पूरी तरह खत्म हो जाता है। प्रोटॉन थैरेपी से फिलहाल फेफड़ेे, ब्रेन, आंख, पिट्यूटरी ग्लैंड के ट्यूमर और रीढ़ की हड्डी में मौजूद वर्टीब्रा के आसपास बने ट्यूमर को खत्म करते हैं। इसके अलावा आर्टरी और वेन्स में बने ट्यूमर को भी इससे खत्म किया जा सकता है।