लखनऊ। मिजिल्स और रूबेला से हो रही बच्चों की मौतों पर लगाम लगाने के लिए टीकाकरण अभियान की शुरुआत की जा रही है। हर साल करीब 40 हजार मौत उत्तर प्रदेश में होती है। उक्त बातें चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संयुक्त तत्वावधान से यूनिसेफ की ओर से शनिवार को हजरतगंज स्थित एक होटल में राज्यस्तरीय मीडिया कार्यशाला में डॉक्टर वेद प्रकाश ने कही।
वैक्सीन का दिया जाएगा एक अतिरिक्त डोज
राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी अधिकारी डॉ. एपी चतुर्वेदी ने कार्यशाला में बताया गया कि उप्र के 75 जिलों में करीब 8 करोड़ बच्चों का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया है। यह अभियान चार से पांच हफ्ते चलेगा। इसकी शुरुआत सबसे पहले सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में 26 नवंबर से की जा रही है। अभियान के तहत 9 माह से 15 साल तक के बच्चों को मीजिल्स-रूबेला (एमआर) वैक्सीन का एक अतिरिक्त डोज दिया जाएगा।
जरूरी है टीकाकरण
इस मौके पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश के मिशन निदेशक पंकज कुमार ने कहा कि टीकाकरण बच्चों के जीवन और भविष्य को सुरक्षित करने का सबसे कारगर और किफायती तरीका है। सम्पूर्ण टीकाकरण अभियान के तहत यह पूरा प्रयास किया जा रहा है कि जीवन को सुरक्षित करने वाली वैक्सीन का लाभ हर बच्चे तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि इस दिशा में अभी हाल ही में शुरू की गई मीजिल्स-रूबेला वैक्सीन को अभियान के तहत स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों और दुर्गम क्षेत्रों तक मुफ्त में मुहैया कराना एक बड़ा कदम है। इस दौरान यूनिसेफ इंडिया के अमित मेहरोत्रा ने भी अपने विचार रखे।
सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान
वैक्सीन के बारे में बताते हुए नियमित टीकाकरण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि एमआर विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान है। उन्होंने कहा कि भारत 2020 तक मीजिल्स और रूबेला को जड़ से खत्म करने के लिए संकल्पबद्ध है। इस अभियान के तहत 9 महीने से 15 साल तक देश के करीब 41 करोड़ बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि दोनों वैक्सीन एक साथ लगाया जाता है और इससे कोई नुकसान नहीं होता बल्कि प्रभावी होता है। यही नहीं उन्होंने कहा कि यह टीका कुपोषित बच्चों को भी दिया जाना है।