लखनऊ। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि मेरठ और आगरा में सबसे अधिक प्रदूषित शहर है। यह अध्ययन सेंटर फॉर एनवायरोमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) और आईआईटी दिल्ली ने किया है। उत्तर भारत के 11 शहरों में वायु प्रदूषण पर अध्ययन पर रिपोर्ट तैयार किया है।
इस रिपोर्ट में रांची को छोड़ सभी शहरों में प्रदूषक तत्व पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) राष्ट्रीय औसत से दोगुना और डब्ल्यूएचओ के मानक से अनुसार आठ गुना ज्यादा है। मेरठ और आगरा में प्रति लाख 290 मौत और लखनऊ में 250 मौत है। इसका दुष्परिणाम है कि लोग समय से पहले काल के गाल में समा रहे हैं। इन शहरों में समय पूर्व मृत्यु दर बढ़ गई है।
ये शहर थे शामिल
अध्ययन में उत्तर प्रदेश के आगरा, इलाहाबाद, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, वाराणसी और गोरखपुर के साथ ही बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर और गया तथा झारखंड के रांची शहर को शामिल किया है।
मौतों का कारण
मंगलवार को आयोजित प्रेसवार्ता में सीड के प्रोग्राम डायरेक्टर अभिषेक प्रताप और सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर अंकिता ज्योति ने बताया कि लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण से उत्तर भारत के शहरों में प्रति एक लाख आबादी पर 150 से 300 तक मौतें हो रही हैं। इन मौतों का कारण प्रदूषण से होने वाले गंभीर रोग लंग कैंसर, सांस संबंधी बीमारियां, हार्ट अटैक, लंग्स में इंस्फेक्शन आदि हैं।
कहां क्या है प्रदूषण की स्थिति
रिपोर्ट के मुताबिक शहर मेरठ और आगरा में सबसे अधिक वायु प्रदूषण है। गंगा के मैदानी इलाकों में पीएम 2.5 का उभार पश्चिम से पूर्व की ओर है। उत्तर प्रदेश के मेरठ, आगरा, लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर के साथ ही बिहार के पटना में पीएम 2.5 की बढ़ती रफ्तार खतरनाक स्तर पर आ चुकी है। वाराणसी में प्रदूषक तत्व का विस्तार सबसे तेज पाया गया है। कानपुर, इलाहाबाद और बिहार के गया में मध्यम स्तर पर है। रांची व मुजफ्फरपुर में प्रदूषक धूलकणों में वृद्धि की दर चिंताजनक नहीं है।
देर ना करे सरकार, तैयार करे प्लान
इस दौरान अभिषेक और अंकिता ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकारों को इस स्थिति से निपटने के लिए समाधान के तहत नेशनल क्लीन एयर एक्शन प्लान तैयार करना चाहिए। कुकिंग, हीटिंग, लाइटिंग के साथ ही उद्योग, ट्रांसपोर्ट और एनर्जी सेक्टर से भी पीएम 2.5 बढ़ रहा है।