लखनऊ। केजीएमयू स्थित साइंटिफिक कंवेशन सेंटर में ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग द्वारा ”सेफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन: नीड ऑफ ऑवर’ विषय पर सतत् चिकित्सा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर परिवार कल्याण, मातृ एवं शिशु कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि सुरक्षित ब्लड ट्रांसफ्यूजन अत्यंत ही महत्वपूर्ण है, और हमे यह इसके लिए अस्वस्त होना पड़ेगा कि मरीजो जो रक्त चढ़ाया जा रहा है वो संक्रमण मुक्त होना चाहिए। हमे ब्लड ट्रांसफ्यूजन में इथिक्स को अपनाना चाहिए।
यूपी और बिहार में रक्त की बहुत ज्यादा अवश्यकता है जिसको पुरा करने के लिए हमे विभिन्न तरह के प्रयास करने पड़ेंगे। केजीएमयू के कुलपति प्रो. मदनलाल ब्रह्म भट्ट ने कहा कि ७० हजार यूनिट रक्त प्रत्येक वर्ष चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग द्वारा एकत्रित किया जाता है। जिसका नेट टेस्ट करने के पर ६ से ७ करोड़ रूपये का खर्च आता है। इसके लिए हमें एनएचएम के माध्यम से काफी सहयोग प्रदान किया जाता है। विश्वविद्यालय द्वारा थैलेसिमिया जैसे असाध्य रोगियों के लिए नि:शुल्क रक्त उपलब्ध कराया जाता है किन्तु हम चाहते है अन्य मरीजो को भी नि:शुल्क रक्त उपलब्ध कराया जा सके इसके लिए हमे एनएचएम और सरकार की तरफ से और मदद चाहिए।
पूरे परिवार को संक्रमण
कार्यक्रम में ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्षा डा. तूलिका चंद्रा ने बताया कि यदि रक्त जीवन देता है तो जीवन ले भी सकता है। यदि किसी एनेमिया के मरीज को संक्रमित रक्त चढ़ा दिया जाए तो उस मरीज के साथ उसके पुरे परिवार को संक्रमण हो सकता है और मरीज की जान भी जा सकती है। रक्त के चार कम्पोनेंट होते तथा किसी भी कम्पोनेंट से संक्रमण हो सकता है। इसके लिए जरूरी है किसी भी तरह के ब्लड ट्रांसफ्यूजन को बिना नेट टेस्ट न किया जाए। विभाग द्वारा २०१२ से मरीजो को नेट टेस्ट किया हुआ रक्त उपलब्ध करया जा रहा है। वर्तमान में जो रक्त एकत्रित किया जा रहा है उसमे हम देख रहे है कि हेपटाईटिस ए और बी से संक्रमित रक्त का ग्राफ काफी कम हुआ किन्तु एचआईवी संक्रमित रक्त का ग्राफ बढ़ रहा है। पहले पूरे वर्ष में ३ या ५ एचआईवी संक्रमित रक्त मिलता था ,लेकिन २०१७ में ११ यूनिट एचआईवी संक्रमित रक्त विभाग में आया। इस प्रकार हम कह सकते है कि एचआईवी संक्रमित लोग बढ़ रहे है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन से सीधे एचआईवी का खतरा रहता है यदि मरीज को चढ़ाया जाने वाला रक्त संक्रमीत हो। उत्तर प्रदेश में अभी नेट टेस्ट की सुविध सरकारी संस्थानों मे केजीएमयू और एसजीपीजीआई में उपलब्ध है। अन्य ब्लड बैंको में अभी एलाइजा टेस्ट ही किया जा रहा है।
एंटीबॉडीज समूह की पहचान के लिए खास तरह की जांच
डॉ. तूलिका चन्द्रा ने कहा कि अभी डॉक्टर की सलाह पर मरीज के लिए तीमारदार रक्तदान करते हैं। मरीज के खून के नमूने की जांच की जाती है। उसे ब्लड बैंक में रखे खून से मिलान कराया जाता है। इस जांच की प्रक्रिया में ४५ मिनट लगते हैं। इसके बाद मरीज के लिए खून जारी कर दिया जाता है। पर इस जांच में तमाम छुपे हुए एंटीबॉडीज समूह के रूप में पहुंच जाते हैं। ऐसे मरीज जिन्हें बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है उनके शरीर में यह एंटीजेंट पहुंचकर नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने बताया कि एंटीबॉडीज समूह की पहचान के लिए खास तरह की जांच होगी। इसमें एक दिन से ज्यादा का वक्त लगता है। मरीजों को और सुरक्षित खून उपलब्ध कराने के लिए यह जांच की जाएगी। केवल जिन मरीजों के ऑपरेशन आगे की तारीख में प्रस्तावित होंगे उन्हीं के खून के नमूने की जांच होगी। उन्होंने बताया कि जरूरत के हिसाब से मरीज को खून जारी किया जाएगा। अभी मरीज को डॉक्टर की सलाह पर दो से तीन यूनिट तक खून जारी किया जा रहा है। पर, तमाम बार मरीज को जारी सभी यूनिट खून चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ती है। जारी खून को दोबारा ब्लड बैंक वापस नहीं ले सकता है। ऐसे में खून को नष्ट करने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं होता है।
कम दिनों का वायरस आएगा पकड़ में
डॉ. तूलिका चन्द्रा ने बताया कि न्यूक्लीयर एसिड टेस्ट (नेट) से परखा हुआ खून बेहद सुरक्षित है। इसमें शरीर में पनपे संक्रमण को कम दिनों में ही पहचान की जा सकती है। उन्होंने बताया कि एचआईवी, हेपेटाइटिस बी व सी समेत दूसरे बैक्टीरिया-वायरस एक समय के बाद ही पकड़ में आते हैं। पर, नेट जांच में बैक्टीरिया और वायरस को वीडो पीरीयड में ही पकड़ा जा सकेगा। उन्होंने बताया कि एचआईवी का संक्रमण छह दिन में पकड़ा जा सकता है। वहीं हेपेटाइटिस बी ३० दिन में और हेपेटाइटिस सी २० दिन में पकड़ा जा सकता है।चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा बिना अमीर-गरीब का भेद किए सभी को सबसे सुरक्षित रक्त प्रदान किया जा रहा है। थैलेसिमिया और एचआईवी पीड़ितों को नि:शुल्क रक्त प्रदान किया जा रहा है। बाकी मरीजो को भी प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार और सहयोग प्रदान करें तो हम सभी को नि:शुल्क रक्त प्रदान कर सकेंगे। विभाग द्वारा अभी तक एलाइजा टेस्ट के बाद ३ लाख १० हजार यूनिट रक्त का नैट टेस्ट किया जा चुका है जिसकी वजह से इन रक्त यूनिटो में से २३०० संक्रमित रक्त को पकड़ा कर उसके खत्म किया जा चुका है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के तौर पर एनएचएम के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार उत्तर प्रदेश उपस्थित रहे।