वेतन विसंगति के कारण ठेका कर्मचारी बैठे धरने पर
लखनऊ। प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशालय में खुल कर अंधेरगर्दी हो रही है। जिसका खामियाजा यहां पर तैनात ठेका कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। पिछले कई महिने से वेतन विसंगति का दंश झेल रहे स्वास्थ्य महानिदेशालय के ठेका कर्मचारियों का सब्र गुरुवार को जवाब दे गया। जिसके बाद यहां कार्यरत ठेका कर्मचारी धरने पर बैठ गये।
धरने पर बैठे सभी ठेका कर्मचारी निदेशालय में कम्प्यूटर आपरेटर के पद पर पिछले कई सालों से कार्यरत हैं। ठेका कर्मचारियों की माने तो उनका शोषण हो रहा है ,१२ हजार रूपये वेतन होने के बाद भी उन्हें ७२०० रूपये ही दिया जा रहा है। इतना ही नहीं पूरे महीने काम करने के बाद उन्हें सिर्फ २२ दिन का ही वेतन मिलता है। जबकि शनिवार व रविवार को स्वास्थ्य निदेशालय में छुट्टी होने पर भी उन्हें बुलाया जाता है और काम लिया जाता है। वहीं यूपीएचएचएसपी,एनएचएम,राज्य क्षय नियंत्रण कार्यक्रम टीबी सेल ,जन्म मृत्यु आंकड़ा अनुभाग तथा राष्टï्रीय कुष्टï नियंत्रण कार्यक्रम मे ठेके पर तैनात कम्प्यूटरों को १२ हजार से लेकर २२ हजार तक वेतन का भुगतान किया जा रहा है। कर्मचारियों की माने तो उनकी समस्या पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। अपनी समस्या को लेकर उन्होंने स्वास्थ्य महानिदेशक से लेकर मंत्री तक गुहार लगाया है।
आंख बंद किये बैठे है स्वास्थ्य महानिदेशक
जानकारों की माने तो स्वास्थ्य महानिदेशक को पूरी जानकारी होने के बाद भी वह इस मसले पर चुप्पी साधे हुये हैं। सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य महानिदेशक ने तो साफ-साफ ठेकाकर्मचारियों की बात सुनने से इंकार कर दिया है।
कर्मचारियों को तीसरी कंपनी से भी मिला दर्द
स्वास्थ्य महानिदेशालय में तैनात ठेका कर्मचारियों को पहले तो अवनी परिधि द्वारा तैनात किया गया था। बाद में उन्हें दूसरी कंपनी के हवाले कर दिया गया । मौजूदा समय में सभी ठेका कर्मचारियों को इंण्डियन इंडस्ट्रीयल सिक्योरटी सर्विसेज के अधीन रखा गया है। अवनी परिधि से लेकर मौजूदा समय में आउटसोर्सिंग का काम कर रही कंपनी पर कर्मचारियों के शोषण का आरोप लगातार लगते आये हैं। सूत्रों की माने तो जैसे ही अधिकरी बदलते हैं,आउटसोर्सिंग कंपनी भी बदल जाती है। लेकिन कर्मचारियों की समस्याएं जस की तस बनी रहती हैं।