लखनऊ। हरदोई के एक मरीज को अजंता अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टर ने जान बचाई। मरीज का सड़क हादसे में दाएं कंधे, सीने की हड्डी चकनाचूर हो गई थी। मरीज धर्मवीर का हरपालपुर के पास ट्रक-बस की भिड़ंत में जख्मी हो गया था। इसके बाद मरीज को बुखार के साथ संक्रमण फैल रहा था। प्लास्टिक सर्जन ने कई दिन तक लगातार स्किन ग्रॉफ्टिंग और इंटरनल कंपाउंड करके मरीज को बिल्कुल स्वस्थ कर दिया है।
हड्डी को जोड़कर एक्सटरनल फिक्सेटर लगाया था
सड़क हादसा 10 नवंबर की शाम हुआ था। हादसे में दाएं कंधे, सीने की हड्डियां टूट गई थीं। दोनों जगह से काफी मांस गायब हो गया था, जिस पर हरदोई से उसे ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया था। मरीज के मुताबिक ट्रॉमा में इलाज न मिलने पर वह दूसरे निजी अस्पताल गया। वहां पर डॉक्टर ने उसकी टूटी हड्डी को जोड़कर एक्सटरनल फिक्सेटर लगा दिया था, जिससे यह लाभ हुआ कि हाथ कटकर अलग नहीं हुआ।
यह थी चुनौती
अजंता अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी के डॉ. नीरज उपाध्याय ने बताया कि मरीज 13 नवंबर को आया था। उसे सेप्टिकसीमिया होने से संक्रमण फैल चुका था, तेज बुखार आ रहा था। इलाज शुरू कर ऑपरेशन की प्लानिंग की गई। डॉ. उपाध्याय ने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती थी कि कंपाउंड फ्रैक्चर होने से फिक्सेटर के साथ ही संक्रमण खत्म करना, घाव भरना और हाथ को मूवमेंट के लायक बनाना था। इसलिए एक्टरनल फिक्सेटर को हटाकर इंटरनल फिक्सेटर लगाया गया।
अब उठने लगा हाथ
गायब हो चुकी जगह पर मांस भरना शुरू किया गया। इससे मरीज को बुखार के साथ सेप्टिकसीमिया का असर भी कम होने लगा। मरीज के सीने के दाएं ओर से फंक्शनल आइसलैंडेड पेक्टोरलिस मेजर मॉयोक्यूटेनियस फ्लैप निकालकर हाथ में ड्रेसिंग की गई। यह प्रक्रिया अधिक समय तक चली। अब मरीज का पूरी तरह से हाथ उठने लगा है। अस्पताल के प्रमुख डॉ. अनिल व गीता खन्ना समेत पूरी टीम ने डॉ. नीरज उपाध्याय के कार्य की सराहना की।