लखनऊ। गोमती नगर स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में एक और गड़बड़ी सामने आई है। इस बार मामला है डॉक्टरों की भर्ती का। यहां आरोप लगाया गया है कि नियमों को ताक पर रखकर डॉक्टरों की भर्ती की गई है।
यह भर्ती 2015 में अस्थाई डॉक्टरों के लिए की गई थी। जबकि इस मामले में संस्थान के निदेशक डॉ. दीपक मालवीय का कहना है कि नियमानुसार भर्ती हुई है। इधर, शिकायत मिलने पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के राज्य मंत्री संदीप सिंह ने एक सप्ताह में मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
एसोसिएट प्रोफेसर के पद को असिस्टेंट प्रोफेसर करने का प्रस्ताव
लोहिया संस्थान में वर्ष 2015 में कॉर्डियोलॉजी, रेडियोलॉजी, न्यूरो सर्जरी और यूरोलॉजी विभाग में भर्ती की प्रक्रिया शुरू की थी। एसोसिएट प्रोफेसर के पद के लिए भी विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। विज्ञापन निकाला गया। इसके बावजूद एसोसिएट प्रोफेसर पद पर पर्याप्त आवेदन नहीं आए। नतीजतन तत्कालीन निदेशक ने 2016 में एसोसिएट प्रोफेसर के पद को टम्प्रेरेरी तौर पर असिस्टेंट प्रोफेसर करने का प्रस्ताव शासन को भेजा।
शासनादेश में किया जिक्र
शासन ने राज्यपाल की अनुमति के बाद 15 नवम्बर 2016 को नियमानुसार पदों को अस्थाई रूप से असिस्टेंट के पद में तब्दील कर दिया। साथ ही बिना अनुमति इन पदों को खत्म न करने का भी जिक्र शासनादेश में किया गया। यह भर्ती मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के नियमों के तहत होनी थी। इसके बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई। चार डॉक्टरों की भर्ती हुई। 28 फरवरी 2017 तक के लिए इनकी तैनाती की गई।
विज्ञापन नहीं आरोप
शिकायतकर्ता सैनिक विहार कॉलोनी निवासी नीरज मिश्र ने चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री को पत्र भेजकर भर्ती में गड़बड़ी के आरोप लगाए। शिकायती पत्र के मुताबिक अस्थाई पद पर तैनात चारों डॉक्टरों को असिस्टेंट के पद पर कर दिया गया जबकि अस्थाई डॉक्टरों को नियमित पद पर तैनाती के लिए नया विज्ञापन प्रकाशित किया जाना चाहिए। भर्ती प्रक्रिया के तहत नए सिरे से इन डॉक्टरों की आवेदन के बाद ही भर्ती हो सकती थी। आरोप है कि विज्ञापन नहीं निकाला गया।