लखनऊ। केजीएमयू में मरीजों और टेक्नीशियनों का खास ख्याल रखने की तैयारी की जा रही है। अब यहां एक्सरे और सीटी स्कैन के रेडिएशन का खतरा कम होगा। इसके लिए मरीज को पहनाने वाला ऐप्रेन, टेक्नीशियन के ग्लब्स, कक्ष के दरवाजों में ऐसा मैटीरियल प्रयोग किये जाने की योजना तैयार की गयी है।
अभी तक उपयोग किये जा रहे मैटीरियल में लेड यानी सीसा मिला होता है जो कि प्रस्तावित मैटीरियल में नहीं होने का दावा किया गया है। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी उपयोगी रेडियेशनरोधी इस मैटीरियल को भारत सरकार के भोपाल स्थित सीएसआईआर-एएमपीआरआई द्वारा तैयार किया गया है।
इसके बीच एमओयू
केजीएमयू ने इसका प्रयोग अपने यहां करने के लिए इसके निर्माण के लिए एएमपीआरआई के साथ एक (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) एमओयू पर हस्ताक्षर किये हैं। मंगलवार को हुए इस करार के तहत सीएसआईआर-एएमपीआरआई, भोपाल नए उच्चस्तरीय मेटेरियल्स का निर्माण करेगा, जो कि रेडियेशेन शिल्डिंग के रूप में पहले के मुकाबले लाभकारी एवं सस्ता होगा।
ये थे मौजूद
इस दौरान चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट एवं सीएसआईआर-एएमपीआरआई, भोपाल के निदेशक डॉ एके श्रीवास्तव ने एमओयू पर हस्ताक्षर कर इस समझौते को मंजूरी दी। इस अवसर पर केजीएमयू की तरफ से डॉ अनीत परिहार, डॉ मधुमति गोयल, डॉ तीरथराज वर्मा, डॉ आरके गर्ग, प्रो एसएन संखवार, डॉ एसपी मिश्रा तथा सीएसआईआर-एएमपीआरआई, भोपाल की ओर से डॉ अशोकन पप्पू, डॉ एसकेएस राठौर, डॉ मनोज गुप्ता मुख्य रूप से उपस्थित रहे।