लखनऊ। सिविल अस्पताल में अव्यवस्था और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते बुधवार सुबह महिला मरीज की मौत हो गई। मरीज को दिल का दौरा पड़ा था। आनन-फानन में अस्पताल लाए गए मरीज को समय से एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल पाई और अस्पताल के गेट पर ही दम तोड़ दिया।
यह है मामला
जगदीशपुर निवासी आयशा को सुबह दिल का दौरा पड़ा था। परिजन उन्हें आनन-फानन में सिविल अस्पताल ले आये। यहां काफी इंतजार के बाद डॉक्टरों ने आयशा का चेकअप किया। उसके बाद मरीज की हालत नाजुक होने का हवाला देते हुए तुरंत केजीएमयू ले जाने की बात कही गई। इसके बाद मरीज को केजीएमयू के लिए रेफर कर दिया। परिजनों ने मरीज को केजीएमयू ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की तो डॉक्टरों ने एंबुलेंस उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।
यहां करीब 20 मिनट इंतजार करने के बाद मालूम पड़ा कि एंबुलेंस का ड्राइवर नहीं है। इसलिए परिजनों ने तत्काल 108 नंबर पर फोन करके एंबुलेंस को बुलवाया लेकिन उसको भी सिविल अस्पताल तक पहुंचने में 15-20 मिनट का समय लग गया और मरीज आयशा दर्द से तड़पकर दम तोड़ दिया।
पति ने लगाये आरोप
आयशा के पति ने सिविल अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाये हैं। उन्होंने कहा कि जब वह अपने मरीज को लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे तो करीब एक घंटे तक डॉक्टरों ने उसे देखा ही नहीं। जब डॉक्टरों ने उसे देखा तो कुछ ही देर बाद केजीएमयू ले जाने की बात कह दी। जब परिजनों ने पूछा कि किस तरह केजीएमयू ले जाएं तो उन्हें एंबुलेंस से ले जाने की सलाह दी गई क्योंकि उस वक्त अस्पताल में एंबुलेंस मौजूद थी। लेकिन कुछ देर बाद मालूम हुआ कि एंबुलेंस का ड्राइवर ही मौजूद नहीं है। परिजनों का आरोप है कि अगर सही समय से एंबुलेंस मिल जाती तो शायद आयशा की जान बच जाती।