नई दिल्ली। आदिकाल से ही आयुर्वेद से उपचार किया जा रहा है। आयुर्वेद से इलाज में एक और बीमारी का इलाज किया जाएगा। अब गुर्दा रोगियों के लिए आयुर्वेद में इलाज संभव है। यह दावा किए गए एक शोध में किया गया है। शोध में दावा किया गया है कि औषधीय पौधा पुनर्नवा से बनी आयुर्वेदिक दवाएं गुर्दे की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को पुनर्जीवित कर सकती हैं। यह भी कहा गया है कि यदि गुर्दे की खराबी का शुरू में ही पता चल जाए तो उपचार ज्यादा प्रभावी होगा। अब तक हुए दो अध्ययनों में इसकी पुष्टि हुई है। आयुष मंत्रालय वैकल्पिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए इस पर काम कर रहा है।
हीमोग्लोबिन भी बढ़ाती है
आयुष मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि ‘वल्र्ड जर्नल ऑफ फार्मेसी एंड फार्मास्युटिकल साइंसेजÓ में बीएचयू का एक शोध प्रकाशित हुआ है, जिसमें गुर्दे की बीमारी से पीडि़त एक महिला को एक महीने तक पुनर्नवा सीरप दिया गया। इससे उसके रक्त में क्रिएटिनिन का स्तर 7.1 से घटकर महज 4.5 एमजी रह गया, जबकि यूरिया का स्तर 225 से घटकर 187 एमजी तक आ गया। इतना ही नहीं हीमोग्लोबिन का स्तर 7.1 से बढ़कर 9.2 हुआ। शोध परिणाम में पुष्ट हुई कि पुनर्नवा से बनी दवा से गुर्दे की बीमारी ठीक होती है बल्कि यह हीमोग्लोबिन भी बढ़ाती है।
चूहों पर किया गया परीक्षण
‘इंडो अमेरिकन जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्चÓ में प्रकाशित दूसरे शोध के मुताबिक, पुनर्नवा तथा चार अन्य बूटियों -गोखरू, वरुण, पत्थरपूरा, पाषाणभेद से बनी दवा नीरी केएफटी का परीक्षण चूहों पर किया गया। शोध के नतीजे बताते हैं कि जिन समूहों को नियमित रूप से दवा दी जा रही थी, उनके गुर्दो का संचालन बेहतरीन पाया गया। उनमें भारी तत्वों, मैटाबोलिक बाई प्रोडक्ट जैसे क्रिएटिनिन, यूरिया, प्रोटीन आदि की मात्रा नियंत्रित पाई गई। वहीं जिस समूह को दवा नहीं दी गई, उनमें इन तत्वों का प्रतिशत बेहद ऊंचा था।