24 घंटे से ज्यादा काम लिया जा रहा था काम, सीनियर्स बनाते थे दबाव, मारपीट का भी आरोप
लखनऊ। केजीएमयू स्थित आर्थोपेडिक विभाग के जूनियर रेजीडेंट ने सोमवार को हाथ की नस काट कर आत्महत्या करने की कोशिश की। लेकिन समय रहते इलाज मिलने का कारण डाक्टर की हालत खतरे से बाहर बतायी जा रही है। डाक्टर पिछले काफी दिनों से डिप्रेशन का शिकार थे। इनका इलाज भी चल रहा था। कमरे से मिले सोसाइड नोट में भी डाक्टर ने अपनी बीमारी को ही जिम्मेदार ठहराया है। वहीं उनकों जानने वाले लोग कुछ और ही बात कर रहे हैं।
डॉक्टर्स से जबरन 24 घंटे से अधिक काम लिया जा रहा
लोगों की माने तों रेजीडेंट डॉक्टर्स से जबरन 24 घंटे से अधिक काम लिया जा रहा है । इतना ही नहीं सीनियर्स द्वारा प्रताडि़त करने का भी मामला प्रकाश में आ रहा है। इस कारण लोगों की जान बचाने वाले रेजीडेंट डॉक्टर ने अपनी ही जान लेने की कोशिश कर डाली।
डॉ. विवेक कुमार ने पिछले वर्ष आर्थोपेडिक सर्जरी में रेजीडेंट डॉक्टर के रूप में ज्वाइन किया था। पिछले एक वर्ष से वह जेआर १ के रूप में काम कर रहे थे। केजीएमयू ज्वाइन करने के बाद से ही उन पर लगातार दबाव था। बताया जा रहा है कि वह 24 से 30 घंटे लगातार काम करते थे। एक माह पूर्व उनके साथ मारपीट की भी बात सामने आ रही है।
जाइलोकेन इंजेक्शन लगाकर बांये हाथ की नस काटी
डा. विवेक केजीएमयू स्थित बुद्धा हास्टल में रह रहे थे, सोमवार को सुबह पांच बजे उठकर अपनी दवा खायी तथा जाइलोकेन इंजेक्शन लगाकर बांये हाथ की नस काट ली। वहीं दूसरी तरफ रोजाना की तरह घर वालों ने डा. विवेक को फोन करना शुरू किया। फोन न उठने पर लखनऊ में ही रहने वाला भाई ने हास्टल पहुंचकर कमरे का दरवाजा खटखटाया, तो खुद डा. विवेक ने उठकर दरवाजा खोला और फिर जाकर विस्तर पर सो गया। लेकिन कमरे में चारो तरफ फैले खून को देखकर उसने इसकी सूचना वार्डेन को दी। जिसके बाद आनन-फानन में डा.विवेक को ट्रामा में भर्र्ती कराया गया। इसके बाद प्लास्टिक सर्जरी विभाग समेत कई विभागों के डाक्टर मौंके पर पहुंच गये और डा.विवेक की जान बच सकी। विशेषज्ञों की माने तो मेन नश कटने से बच गयी। जिसके कारण जान बच सकी।